- एक भी भाजपाई नहीं उठा रहा भर्ती घोटाले पर सवाल
- क्या उन्हें केवल मुसलमानों से खतरा है, गोविंद और प्रेमचंद जैसों से नहीं?
15 अगस्त को हर घर तिरंगा लहराने वाले अधिकांश भाजपाई इन दिनों मीडिया से बचते फिर रहे हैं। उनकी देशभक्ति हवा हो गयी है। रोज सुबह मंदिर परिसर में वंदे सदा वत्सले मातरम गाने वाले वाले, देश को हमें दिया क्या? का दम्भ भरने वाले संघी भी लापता हैं। क्या संघी और भाजपाइयों को केवल मुसलमानों से खतरा लगता है, उनके कारण ही देश मुसीबत में लगता है? प्रेमचंद अग्रवाल और गोविंद सिंह कुंजवाल जैसे नेताओं से नहीं? क्या प्रेमचंद अग्रवाल और गोविंद सिंह कुंजवाल जैसे नेता कौम और देश के दुश्मन नहीं हैं? क्या प्रेमचंद अग्रवाल को राष्ट्रवादी कहा जा सकता है?
दरअसल, भाजपाइयों को लगता है कि हिन्दू-मुस्लिम कर ही वह अपनी दुकान चला पाएंगे। हो भी यही रहा है। भाजपाई नफरत की खेती करते हैं, लेकिन सुबह दूध मुस्लिमों से लेते हैं, सब्जी उनसे लेते हैं। बाल उनसे कटवाते हैं। जिस आरती की घंटी बजाते हैं वह भी मुस्लिम ही बनाते हैं। और तो और उनके घर से लेकर वाहन की मरम्मत तक मुस्लिम ही करते हैं। बताओ भाजपाइयो, नेता तुम्हारे लिए क्या करते हैं? बेरोजगारी क्या मुस्लिमों के घर है? नहीं, उनका बच्चा पैदा होते ही स्किल्ड बन जाता है। किसी मुस्लिम को बेरोजगार देखा क्या? बेरोजगारी के शिकार तो तुम्हारे बच्चे हैं। इतना बड़ा घोटाला सामने है? उठाई अपने बच्चों के लिए आवाज? तुम्हारे बच्चे तुम्हारे बारे में क्या सोचते होंगे? क्या तुम्हारे बच्चे तुम पर गर्व करेंगे तुम्हें चुप देखकर?
भाजपाई और संघी (हालांकि एक बात एक ही है) के घर में भले ही बेरोजगार बेटा-बेटी बैठे हों, लेकिन आवाज नहीं उठा सकते? कारण जमीर तो बचा ही कहां? लोकलाज है, भले ही घर में आग लग जाएं, लेकिन रोना नहीं है, चिल्लाना नहीं है। कारण, सरकार अपनी है। नेता अपने हैं, तो बताओ, जो घर में बेरोजगार बेटा-बेटी हैं, वो किसके हैं? जिस दिन समझ जाओगे कि आज की राजनीति क्या है, उस दिन राजनीति के साथ धार्मिक कट्टरवाद से भी तौबा कर लोगे। नेताओं और दलों के यशोगान का परिणाम भुगत रहे हो। रो रहे हो लेकिन घर के अंदर। सच यही है कि राष्ट्रवाद का झूठा नाटक चल रहा है और जिसे जहां मौका मिल रहा है प्रदेश और देश को लूट-खसोट रहा है।
[वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]