- दूरदर्शन से रिटायर हुए वीडियो जर्नलिस्ट डा. ओमप्रकाश जमलोकी
- जिंदगी का एक पड़ाव पूरा, नये लक्ष्य के लिए सफर शुरू
2017 की बात है। मैं डीडी न्यूज में कैजुअल असिस्टेंट न्यूज एडिटर के तौर पर जुड़ा। सहारा से ठोकर खाकर आया था। जिंदगी का एक लंबा अरसा प्रिंट मीडिया में गुजरा। इलेक्ट्रानिक मीडिया की समझ नहीं थी। ऐसे समय में मुझे दूरदर्शन में मिले डा. ओमप्रकाश जमलोकी। बहुत ही सरल, सजह, मृदुभाषी और कार्य के प्रति समर्पित। उन्होंने मुझे कैमरा और इलेक्ट्रानिक मीडिया के गुर सिखाए। मुझे दूरदर्शन की कई डाक्युमेंट्रीज में स्क्रिप्टिंग और रिसर्च का काम भी दिया। इससे मेरी हिम्मत बढ़ी, मुझे हौसला मिला। आज मैं गर्व से कहता हूं कि पिछले पांच-छह साल में मैंने एक दर्जन से भी अधिक स्पांसर्ड डाक्युमेंट्री फिल्में बना ली। यदि गुरु के तौर पर डा. ओमप्रकाश जमलोकी नहीं मिलते तो यह संभव नहीं होता।
डा. जमलोकी ने दूरदर्शन के माध्यम से उत्तराखंड की संस्कृति और सभ्यता को देश-दुनिया को दिखाया। उन्होंने पांडव नृत्य, चक्रव्यूह, कमलव्यूह, पहाड़ के परम्परागत भवनों, नंदा राज जात समेत दर्जनों डाक्युमेंट्री फिल्में बनाईं हैं। दूरदर्शन के माध्यम से उन्होंने गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी बोलियों को नया आयाम देने की कोशिश की। हमरि माटी पाणी कार्यक्रम आज भी हिट है। अनुभव कार्यक्रम के माध्यम से उन्होंने गढ़वाली भाषा में नया प्रयोग किया। बहुत कम लोगों को पता होगा कि 1994 के राज्य आंदोलन में दिल्ली के लाल किले पर जो लाठीचार्ज की घटना को भी दूरदर्शन के लिए उन्होंने अपने कैमरे में कैद किया था। डा. जमलोकी ने विभिन्न राज्यों के सीएम से लेकर देश के कई प्रधानमंत्रियों के साथ देश-दुनिया की सैर की और उनको कवर किया।
लगभग चार दशक की सरकारी सेवा के बाद डा. जमलोकी ग्रेड वन अफसर वीडियो एक्सक्यूटिव के तौर पर कल रिटायर हो गये। उनका बेटा मुकुल जमलोकी चार बार यूपीएससी की परीक्षा पास कर चुका है। मौजूदा समय में एजी आफिस वेस्ट बंगाल में है। इस बार भी मुकुल ने यूपीएससी में 161वीं रैंक हासिल की है। बेटी डाक्टर है और पत्नी शिक्षिका। जिंदगी के सफर में बहुत कुछ हासिल किया है और अभी आगे और हासिल करना है।
रिटायरमेंट जीवन का एक पड़ाव मात्र है। उम्मीद है कि डा. जमलोकी के अनुभव और पहाड़ की माटी और थाती के प्रति उनके समर्पण का लाभ उत्तराखंड को मिलेगा। उनके सुखद, स्वस्थ जीवन की कामना के साथ नए सफर की शुभकामना।
[वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]