पुरस्कारों को लेफ्ट-राइट के नजरिए से न देखें

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  • ये पत्रकार सच में उमेश डोभाल पत्रकारिता पुरस्कार पाने के हकदार हैं
  • सच्ची और जनपक्षीय पत्रकारिता के लिए मिल रहा पुरस्कार

जब से पत्रकार गंगा असनोडा, राहुल कोटियाल, मनमीत रावत और शीशपाल गुसांईं को उमेश डोभाल पत्रकारिता पुरस्कार के लिए चयनित किया गया। ट्रस्ट की कार्यप्रणाली की आड़ में पुरस्कार पर निशाना साधा जा रहा है। प्रिंट मीडिया के क्षेत्र में गंगा थपलियाल असनोडा, इलेक्ट्रानिक मीडिया में बारामासा पोर्टल की टीम मनमीत रावत व राहुल कोटियाल को पुरस्कार दिया जाएगा। जबकि सोशल मीडिया का पुरस्कार शीशपाल गुसांई को दिया जाएगा।
पत्रकारिता जगत में बहुत शोर है कि पुरस्कारों में लेफ्ट को अधिक महत्व दिया जा रहा है। क्या जनपक्षीय पत्रकारिता लेफ्ट-राइट में बंटी है? जो जनता और पहाड़ों को लुटते देखकर भी चुप्पी साधे हुए पत्रकार हैं, क्या उन्हें यह पुरस्कार मिलना चाहिए? क्या सत्ता के चरणों में लेटकर अपनी नौकरी बचा रहे या संस्थान के लिए दलाली कर रहे पत्रकारों को यह पुरस्कार मिलना चाहिए? पत्रकार संगठनों के उन पदाधिकारियों को यह पुरस्कार मिलना चाहिए जिन्होंने कोरोना के दौरान मृत पत्रकारों के परिजनों की सुध ही नहीं ली। या उन राइट पत्रकारों को यह पुरस्कार मिलना चाहिए, जो हिन्दू-मुस्लिम की दरार डालने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे और फिर सुबह उठते ही मुस्लिम नाई से दाढ़ी और बाल कटवा रहे हैं। मुस्लिम मैकेनिक से बाइक का पंक्चर लगवा रहे या कार-बाइक ठीक करवा रहे हैं।
जनता के हितों को दरकिनार कर निजी स्वार्थ में लिप्त पत्रकारों को या महज नामी संस्थानों में लाला की नौकरी कर रहे पत्रकारों को यह पुरस्कार दिया जाता तो सवाल थे। सड़क पर और गांव की पगड़ंडी में घूम रहे इन पत्रकारों की ईमानदारी और पत्रकारिता धर्म के निर्वहन को लेकर सवाल नहीं उठने चाहिए। गंगा किन विषम परिस्थितियों में पत्रकारिता कर रही है, यह विचारणीय है। पहाड़ की इस बेटी का सम्मान होना चाहिए। राहुल अपना एक अच्छा करियर छोड़ कर मनमीत के साथ पहाड़ में दर-दर भटक कर रचनात्मक और तथ्यात्मक रिपोर्ट ला रहे हैं। जनपक्षधरता की बात कर रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार शीशपाल गुसाईं का चयन भी पूरी तरह से सही है।
यह दुर्भाग्यपूर्ण होगा कि इन पत्रकारों के चयन पर उंगली उठे। जो जनपक्षधरता की बात करे, हिमालय को जिंदा रखने के लिए सवाल उठाए और सत्ता की चरणवंदना से दूर जनता की मुखर आवाज बने, उस पत्रकार को यदि कोई संस्था पुरस्कृत करती है तो यह सभी पत्रकारों के लिए गर्व की बात हे। नये पत्रकारों का अच्छी पत्रकारिता के लिए हौसला बढ़ेगा। मैं इन पुरस्कार पाने वाले सभी पत्रकार साथियों को बधाई देता हूं।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

खुद तय करें, चारधाम दर्शन करने हैं या बैकुंठ धाम के

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