कहानी 1971 युद्ध की, धर्मनगर से सिलहट तक पुस्तक का लोकार्पण

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  • कर्नल राकेश कुकरेती के संस्मरणों को इरा कुकरेती से शब्दशिल्प से संवारा
  • 6 राजपूत बटालियन के अदम्य साहस, बलिदान और विजयपताका की दास्तां

कल शाम नवादा स्थित कर्नल रॉक्स स्कूल में कहानी 1971 युद्ध की, धर्मनगर से सिलहट पुस्तक का लोकार्पण किया गया। यह पुस्तक लेखिका इरा कुकरेती ने अपने पति कर्नल राकेश कुकरेती के 1971 युद्ध के संस्मरणों पर लिखी है। है। कहानी सच्ची घटनाओं पर आधारित है। पुस्तक का लोकार्पण राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल, विधायक किशोर उपाध्याय और कर्नल अजय कोठियाल ने किया। इस युद्ध में 6 राजपूत बटालियन ने सिलहट में 22 बलूच को सरेंडर करवाया था। धर्मनगर से सिलहट तक 95 किलोमीटर इस विजयगाथा के लिए 6 राजपूत को आठ मोर्चों पर दुश्मन सेना से लड़ना पड़ा। युद्ध के पहले दिन ही 6 राजपूत के दो अफसर, एक जवान और 17 सिपाही शहीद हो गये थे। इसके बावजूद 6 राजपूत ने अदम्य साहस, देशभक्ति और कर्तव्यपरायणता की मिसाल देते हुए दुश्मन सेना के छक्के छुड़ा दिये।
पुस्तक बहुत ही रोचक ढंग से लिखी गयी है। इसमें युद्ध की विभीषिका का वर्णन भी है। मिनट भर पहले साथ में खड़ा सैनिक गोली लगते ही दम तोड़ देता है। घायल सैनिक को कैसे दूसरा सैनिक कंधे पर लादकर सुरक्षित जगह लाता है। इसका जिक्र ब्रिगेडियर ओपी चौहान ने किया। ब्रिगेडियर चौहान ने इस युद्ध में भाग लिया था और उनको तीन गोलियां लगी थी। उन्हें एक सूबेदार अपने कंधों पर लादकर तीन किलोमीटर तक लाया था। पुस्तक में यह भी भावपूर्ण उल्लेख है कि उस दौरान शहीद सैनिक की अंतेष्टि वहीं कर दी जाती थी। यह पुस्तक बेहद ही सरल और रोचक ढंग से लिखी गयी है। पुस्तक का प्रकाशन उत्तरजन टुडे नेटवर्क ने किया है।
बलूनी क्लासेस के एमडी विपिन बलूनी ने अपने विभिन्न स्कूलों में लाइब्रेरी के लिए 200 पुस्तकें खरीदीं। इसके अलावा केबीएम संस्था ने भी 200 पुस्तकें खरीदीं। इसके अलावा लगभग 150 पुस्तकों की खुदरा बिक्री हुई।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

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