सच्चे गांधीवादी घोषित हों हरदा

755
  • गांधी के नक्शेकदम पर ले रहे हैं मौन व्रत
  • बस, ई-मेल पर चिट्ठी और भेजना शुरू कर दें

उत्तराखंड की राजनीति में अधिकांश नेता डाकू अंगुलीमाल से प्रभावित हैं। दूर-दूर तक कोई गांधीवादी नेता नजर नहीं आ रहा था। अचानक आज सुबह अखबार में देखा और चौंक पड़ा, लो चिराग तले अंधेरा इसी को कहते हैं।
गांधीवादी क्यों नहीं है? पूर्व सीएम हरीश रावत यानी अपने हरदा तो गांधीवाद की जीती-जागती मिसाल हैं। देखो न, उनका मन गरीब जनता के लिए कितना धड़कता है। 75 साल की उम्र में भी वो गढ़वाल और कुमाऊं के गांव-गांव पहुंचे। चाहे ऋषिगंगा आपदा हो कोरोना काल। खुद कोरोना पीड़ित होने के बावजूद जनसेवा में जुटे रहे। और अब एक घंटे का मौन व्रत ले रहे हैं।
हरदा ने एनएचएम समेत विभिन्न विभागों में अस्थाई तौर पर काम कर रहे कर्मचारियों के भविष्य की खातिर एक घंटे मौनव्रत रखा। हरदा ने पहली बार ऐसा नहीं किया। कई बार वो एक घंटे का मौन व्रत रखते हैं। चाहे सचिवालय को आम जनता के लिए खोलने का मामला हो या महंगाई का विरोध। कसम से, उनकी यही अदा मतदाताओं को रिझा देती है। वो पहाड़ के गांधी इंद्रमणि बड़ोनी के बाद सबसे बड़े गांधीवादी बनकर उभरे हैं। मौन व्रत के साथ उन्हें ई-मेल के माध्यम से नेताओं और अफसरों और बिजनेसमैनों को भी चिट्ठी भेजनी चाहिए ताकि वो राज्य का समुचित विकास कर सकें।
दरअसल, महात्मा गांधी हर रविवार को मौन व्रत रखते थे और उस दिन 40 चिट्ठियां भी लिखते थे। आज ईमेल का जमाना है तो हरदा को इसे अपनाना चाहिए। बस, ये गुजारिश और है कि भले ही महंगाई को लेकर धरना दें, लेकिन भूखहड़ताल न करें। कोरोना काल में इम्युनिटी के लिए पौष्टिक भोजन चाहिए। मेरा कांग्रेसियों से निवेदन है कि वो हरदा को सच्चा गांधीवादी घोषित कर दें।

[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

Doscos अनंत अब आप में शामिल

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here