ओ माननीयों, सीखो जरा पंत जी से

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file photo source: social media
  • चाय-नाश्ते का बिल अपनी जेब से भरा
  • आज के नेता मालामाल, जनता कंगाल

आज भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत की जयंती है। देश के कई ऐेसे नेता भी उनको श्रद्धांजलि दे रहे हैं जिनका पूरा जीवन ही दागदार है। उत्तराखंड के माननीयों को भी पंडित पंत जी के जीवन से सबक लेना चाहिए।
एक दिलचस्प घटना है। पंडित गोविंद बल्लभ पंत उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। ईमानदार राजनेताओं में उनकी गिनती होती थी। वह न ही खास सरकारी सुविधाएं लेते थे और न ही अपने निजी काम के लिए सरकारी पैसे का इस्तेमाल करते थे। पंत एक सरकारी बैठक में थे। यहां चाय-नाश्ते की व्यवस्था की गई। जब उसका बिल पास होने के लिए आया हिसाब में छह आने और बारह आने लिखे हुए थे। पंत जी ने बिल पास करने से इनकार कर दिया। उनसे जब बिल न पास करने का कारण पूछा गया तो गोविंद बल्लभ पंत ने कहा कि सरकारी बैठकों में सरकारी खर्चे से केवल चाय मंगवाने का नियम है। ऐसे में नाश्ते का बिल बनवाने वाले शख्स को स्वयं ही चुकाना चाहिए। उस दिन की बैठक में चाय के साथ गोविंद बल्लभ पंत ने ही नाश्ता मंगवाया था। इसके बाद उन्होंने नाश्ते का बिल खुद चुकाया।
उन्होंने कहा कि नाश्ते के खर्च को सरकारी खर्चे से पूरा करने की अनुमति मैं नहीं दे सकता। सरकारी खजाने पर हमेशा देश की जनता का अधिकार रहेगा, ना कि हम मंत्रियों और सरकार का। उन्होंने कहा कि हम जनता के पैसों को आखिर अपने ऊपर और अपने कामों पर कैसे खर्च कर सकते हैं?
पर आज हमारे प्रदेश में तो जनता के पैसे की लूट हो रही है यानी नेता मालामाल, जनता कंगाल।
(वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार)

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