दोस्ती हो तो ऐसी जिस पर नाज हो

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  • अल्का रावत ने अपनी सहेली राखी बहुगुणा के नाम रोपा पौधा
  • धाद के स्मृति वन में आंसुओं से अपनों ने सींचे पौधे

देहरादून के स्थल गांव स्थित धाद स्मृति वन। यहां कौलागढ़ की एक महिला अल्का रावत ने एक अमलताश का एक पौधा रोपा। जब वह ट्री-गार्ड लगाकर खड़ी हुई तो उसकी पलकें भीगी हुई थी। हाथ कांप रहे थे। यह देख उनके साथ आई महिला भी गुपचुप नीर बहाने लगी। यह देख आसमान भी धीरे-धीरे बूंदे बरसा रहा था मानो इन महिलाओं के आंखों की नमी को छिपाने में मदद कर रहा हो।
दरअसल, यह महिला अल्का रावत यहां अपनी बचपन की सहेली राखी बहुगुणा की याद में पौधा रोपने आई थी। राखी बहुगुणा इसी साल कोरोना की जंग में हार गयी। आज मित्रता दिवस है और अपनी स्वर्गीय सहेली के लिए अल्का की इससे बड़ी भेंट क्या होगी कि वह अपनी सहेली के नाम का पौधा रोपे ताकि पृथ्वी हरी-भरी रहे और इस पौधे को पेड़ बनता देख सहेली की याद को अमर कर दे। दोस्ती की यह मिसाल अनुकरणीय है। अल्का ने बताया कि राखी और वो दोनों बेस्ट फ्रेंड थी। दोनों के पिता ओएनजीसी में थे और शादी के बाद राखी रायपुर तो अल्का कौलागढ़ रहने लगी लेकिन दोस्ती बरकरार रही। दुर्भाग्य से राखी की कोरोना ग्रसित हो गयी और जिंदगी की जंग हार गयी।
इसी, वन में उत्तराखंड के प्रख्यात आर्थो सर्जन और परम हास्पिटल के चेयरमैन डा. विमल नौटियाल ने भी अपनी स्व. मां परमेश्वरी और पिता पातीराम नौटियाल के नाम से पौधे रोपे। मां के नाम का पौधा रोपते समय डा. विमल नौटियाल भावुक हो गये और उनकी आंखों से झर-झर आंसू बहने लगे। यह बहुत भावुक दृश्य था। रोटरी इंटरनेशनल के सुनील शर्मा और दून ग्लोबल स्कूल के अंकित अग्रवाल ने भी अपने परिजनों के नाम से पौधे लगाए।
दरअसल, सामाजिक संस्था धाद यह स्मृति वन विकसित कर रहा है। धाद के सचिव तन्मय ममगाई के अनुसार यह कम्युनिटी फारेस्ट है। यहां कोई भी अपने परिजन या दोस्त के नाम से पौधा रोप सकता है। इस वन में पौधों की देख-रेख होती है। उन्होंने दावा किया कि यहां लगाए गये 80 प्रतिशत पौधे सुरक्षित हैं। धाद की इस पहल के लिए सराहना की जानी चाहिए।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

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