कोई लुटियन का बंगला न मांगे हमारे प्यारे निशंक से!

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  • इस्टेट आफिसर से कह दो, जा नहीं देना, नहीं देना बंगला वापस
  • क्या हुआ जो पद से हट गया, कौन जाए लुटियन से तुगलक रोड

अपने निशंक जब दिल्ली गये तो उनके गांव पिनानी तक खुशियां मनायी गयी। अभावों में पले और पांच हजार रुपल्ली की सरस्वती शिशु मंदिर की नौकरी करने वाला मास्टर देश का शिक्षा मंत्री बन गया। हजारों सरस्वती शिशु मंदिर स्कूलों के टीचरों को लगा कि उनकी किस्मत संवर जाएगी। सेलरी पांच हजार से 50 हजार हो जाएगी। हो भी जाती, यदि निशंक पूरे पांच साल शिक्षा मंत्री रहते तो। लेकिन ये शिकायती लोग कहां जीने देते हैं। किसी की खुशी देखी नहीं जाती। पीएमओ में पूरे दो साल शिकायत ही होती रही कि केवी एडमिशन में घोटाला हो रहा है। वीसी और प्रोफेसर की पोस्टिंग और नियुक्तियों में खेल हो रहा है। ऊपर से कोरोना ने परेशान कर दिया। एक भोला-भाला मास्टर भला इतना प्रेशर कैसे झेलता। सो, छोड़ दी शिक्षा मंत्रीगिरी।
दुश्मनों को यह भी रास नहीं आया कि निशंक दिल्ली के लुटियन जोन जैसे बंगले में रहें, जहां रहना देश के हर नेता का सपना होता है। बस, कर दी मास्टरों का नाम रोशन करने वाले निशंक की शिकायतें। डारेक्टर्स आफ इस्टेट से नोटिस पर नोटिस दिलवा रहे हैं कि बंगला खाली करो, बंगला खाली करो। कितने नोटिस दोगे, भाई। क्या हुआ मंत्री नहीं रहे तो बंगला भी नहीं रहेगा। धमका रहे हो कि यदि तुरंत खाली नहीं किया तो कामर्सियल रेट से किराया वसूलेंगे। वसूल लो। उत्तराखंड सरकार तो आज तक नहीं वसूल सकी। अदालत में ही चल रहा मामला। तुम क्या कर लोगे। भला लुटियन में बंगले वाले को तुगलक रोड पर नींद कैसे आएगी। तुगलक रोड पर तो मच्छर भी बहुत हैं। अभी कोरोना से उभरे हैं और मलेरिया या डेंगू हो गया तो।
निशंक जी संघर्ष करो, बंगला खाली मत करना। यदि करो तो वहां की टोंटी और लान की घास भी उखाड़ लेना, यादें साथ रहेंगी।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

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