वो महाझूठे हैं, 99 प्रतिशत झूठ बोलते हैं। इतिहास में भी वो एक झूठे साहेब के नाम से ही जाने जाएंगे। मार्केटिंग के आदमी हैं, तो भोले-भाले पहाड़ियों को ठग लेते हैं। पहाड़ की जनता को पांच साल पहले भी ठगा था। आज भी ठगने चले आए। पांच साल पहले कहा कि पहाड़ की जवानी और पानी यहां के काम आएगी। आई क्या? कोरोना काल में चार लाख प्रवासी गांव लौटे, कितने रुके? प्रदेश में 14 प्रतिशत बेरोजगारी है। कितनों को नौकरी मिली? पिछले पांच साल में कितने गांव आबाद किये? चकबंदी की? ग्रामीण रोजगार के लिए क्या किया?
कहा था कि सेना के एक सिर के बदले दस सिर लाएंगे? लाए क्या? उत्तराखंड में हर महीने कई जवानों का पार्थिव देह चली आती है। वन रैंक वन पेंशन का झोल सबको पता है। सेना में जनरल विपिन रावत पहले उत्तराखंडी नहीं थे। इससे पहले भी सैकड़ों अफसर हुए हैं जिन्होंने देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। जनरल विपिन रावत के नाम पर वोट मांग रहे हो, उनके गांव सड़क तो पहुंचा नहीं पाये। पहाड़ों को खोखला कर गुजरातियां का घर भर रहे हैं। प्रस्तावित नये बदरीनाथ धाम में भी गुजरातियों का ही कब्जा होगा। सावधान पहाडियो। ठगी से बचो।
[वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]