– आईआईएम काशीपुर की लॉकडाउन रिपोर्ट जारी
– एक माह में देनी थी रिपोर्ट लगभग एक साल लगा दिया
– पर्यटन को 1597 करोड़ रुपये का घाटा, 23 हजार लोगों का रोजगार छिना
पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज पिछले सप्ताह अचानक ही देवता के पश्वा की तरह अवतरित हुए और पर्यटन क्षेत्र को लेकर 18 मिनट तक गाना बजाते रहे। उनसे पहला सवाल यह होना चाहिए था कि पिछले साल के लॉकडाउन की रिपोर्ट इतनी लेट क्यों? दूसरा सवाल कुम्भ में शामिल हुए संत और संन्यासी बिना कोरोना टेस्ट के ही विष्णुप्रयाग और जोशीमठ कैसे पहुंच गये? रास्ते में जांच क्यों नहीं हुई? सतपाल महाराज के मुताबिक कोरोनाकाल में पर्यटन को कुल 1597.45 करोड़ का नुकसान हुआ और 23 हजार से अधिक लोगों का रोजगार छिना। तो यह बताए जाएं कि आखिर ये नुकसान मौजूदा समय का है या पिछले लॉकडाउन का? चौथा सवाल, यदि ये रिपोर्ट एक साल पुरानी है तो इसके लिए दोषी कौन है? पर्यटन विभाग या आईआईएम काशीपुर।
पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने जो रिपोर्ट आज सार्वजनिक की है, मेरे हिसाब से वो रिपोर्ट पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के शासनकाल की है। लॉकडाउन के बाद आईआईएम काशीपुर को इसके आकलन की जिम्मेदारी दी गयी थी। कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल के नेतृत्व में एक उपसमिति भी बनी थी जिसको कुल नुकसान की रिपोर्ट देनी थी पता नहीं वो रिपोर्ट कहां है?
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आईआईएम काशीपुर को प्रदेश सरकार के पर्यटन विभाग ने पिछले साल लॉकडाउन के बाद हुए नुकसान के आकलन के लिए रिपोर्ट देने की बात कही थी। रिपोर्ट एक माह के अंदर देनी थी। मुझे याद है कि मैंने उस दौरान पीआईबी के लिए एक स्टोरी की थी। इस स्टोरी के लिए जब मैंने आईआईएम काशीपुर के निदेशक प्रो. आर.के पघे से बात की तो वो केरल स्थित अपने गांव में थे। जब मैंने पूछा कि स्टडी किसके नेतृत्व में हो रही है तो वो बोले, मेरे। मैंने कहा कि आप तो अपने गांव में हैं। लॉकडाउन हैं कैसे चलेगा? वो बोले हो जाएगा और हम अगले 10-15 दिनों में पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर को यह रिपोर्ट सौंप देंगे। सचिव दिलीप जावलकर और प्रो. पघे दोनों एक ही इलाके के बताए जाते हैं। खैर मैं भूल गया आम लोगों की तरह। आज जब कैबिनेट मंत्री महाराज ने श्रेय लूटना चाहा तो मैंने सोचा की पोल खोल दूं। आखिर कब तक जनता को मूर्ख बनाओगे सरकार।
[वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]