हाईकोर्ट में जिद्दी बच्चे की तरह डांट खाते हैं सरकारी नुमाइंदे
हाईकोर्ट ने कल ही दिया था यात्रा स्थगित करने का आदेश
तीरथ सरकार का बुरा हाल है। दो कदम आगे बढ़ती है तो चार कदम पीछे हो जाती है। चारधाम यात्रा को लेकर कल रात दस बजे तक एसओपी यानी कोविड-19 की गाइडलाइन जारी नहीं हुई। देर रात एसओपी जारी हुई। उसमें चारधाम यात्रा एक जुलाई से करने की बात कही गयी लेकिन सुबह संशोधित एसओपी जारी कर दी गयी। हाईकोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की थी कि चारधाम की आधी अधूरी जानकारी दी जा रही है। मुख्य सचिव को नसीहत देने की बात भी कही गयी थी।
शासकीय प्रवक्ता सुबोध उनियाल ने कहा था कि हाईकोर्ट के आदेश की प्रति नहीं मिली। यदि जरूरत पड़ी तो सरकार सुप्रीम कोर्ट जाएगी। लेकिन सुबह होते ही सरकार को होश आ गया। अग्रिम आदेशों तक यात्रा स्थगित करने का फैसला है। बात भी सही है, न पहाड़ों में आरटीपीसीआर की सुविधा है, न अस्पताल, न डाक्टर न स्टाफ। स्थानीय लोगों को बाहरी से कैसे बचाओगे? सरकार की बत्ती गुल हो गयी। यात्रा स्थगित करने का फैसला ले लिया गया है। पता नहीं क्यों जिद्दी बच्चे की तरह कोर्ट में डांट खाते हो सरकार। होमवर्क क्यों नहीं करते?
[वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]