सरकारी ठगी का शिकार हो गईं आशा वर्कर

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सहमति हुई थी चार हजार बढ़ोतरी पर, हुई 1500 की वृद्धि
10 हजार आशा वर्करों को अब नई सरकार के गठन का इंतजार

कैबिनेट बैठक में जाने से पहले स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने आंदोलनरत आशा वर्करों की प्रदेश अध्यक्ष शिवा दूबे से पूछा कि क्या चाहती हैं? दूबे ने कहा कि चार हजार बढ़ोतरी पर सहमति हुई है। सचिव अमित नेगी ने भी सहमति दी है। आप यही करवा दीजिए। धन सिंह रावत ने आश्वासन दिया और कैबिनेट बैठक में चले गये। कैबिनेट बैठक में आशा वर्कर के वेतन में 1500 रुपये की बढ़ोतरी का फैसला हो गया। आशा वर्करों के ढाई महीने से चल रहे आंदोलन पर टाट का पैबंद लगा दिया गया।
शिवा इसे सरकारी ठगी बताती हैं। उनके अनुसार आशा वर्कर ने तेलंगाना की तर्ज पर एकमुश्त दस हजार मासिक देने की मांग की। सरकार ने केरल की तर्ज पर भुगतान की बात की और बढ़ोतरी हुई विशुद्ध उत्तराखंड की तर्ज पर यानी 1500। शिवा के अनुसार रसोई गैस भी एक हजार का हो गया। महंगाई के इस दौर में इतने से वेतन से घर कैसे चलेगा? पगार भी तीन तीन महीने बाद मिलती है।
गौरतलब है कि आशा वर्कर स्वास्थ्य विभाग की रीढ़ हैं। गर्भवती महिलाओं की देखभाल से लेकर प्रसव, जांच, टीकाकरण, पोलियो, अल्मंडा जोल, डेंगू और अन्य बीमारियों का सर्वे, दवाएं आदि देने का महत्वपूर्ण काम करती हैं। लेकिन वेतन मिलता है राज्य सरकार से दो हजार और दो हजार केंद्र से। यानी अब पगार मिलेगी 5500 रुपये। आंदोलन भी टूटा और समाधान भी नहीं मिला। मीडिया में सरकार की बल्ले-बल्ले हो गई कि दिवाली से पहले आशा वर्करों को मिली सौगात।

[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

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