By धर्मेंद्र प्रताप सिंह
उन्राव,17 अक्टूबर। छुट्टी का दिन है कोई अधिकारी जनता को दर्शन नहीं देगा
कल आना 11:00 बजे, कोई मरे या जिए, कहीं आग लगे तो लग जाए आईजी जोन का फैक्स नंबर कई दिन से खराब पड़ा है।
आईजी दफ्तर पर भारी पड़ा लकड़ी व्यापारी
वैसे तो यह न्यूज़ एक ऐसी बेसहारा औरत की है जो तीन तलाक हुए बिना ही तीन तलाक का शिकार हो गई।
गौरतलब यह है कि एक लकड़ी व्यापारी की सीधी पकड़ किस तरह क्षेत्र की पुलिस चौकी और थाना कोतवाली में होती है। यह मामला है उन्नाव जिले की गंज मुरादाबाद पुलिस चौकी थाना बांगरमऊ का। यहां के एक गांव फतेहपुर हमजा के हरी लकड़ी कटवाने वाला व्यापारी इमरान की बहू और सुफियान की पत्नी जीनत दो साल से पुलिस के चक्कर काट रहे हैं। उसके साथ इंसाफ हो, दो बार पुलिस कप्तान, तीन बार बांगरमऊ के पुलिस उपाधीक्षक और दर्जनभर बार थाना कोतवाली के चक्कर के बाद भी मामला जीरो ही रहा।
सुबह 9:00 बजे 4 साल की बच्ची और अपने मामू हनीफ के साथ जीनत जिला मुख्यालय कप्तान साहब के ऑफिस अपनी दरख्वास्त लेकर आई थी।सिपाहियों ने बताया, छुट्टी के दिन भी चले आते हैं, मुंह उठाकर ना जाने कहां-कहां से। यहां से 10:00 बजे उसे कप्तान के घर भेज दिया गया, वहां संतरी ने गेट के बाहर करके बोला कि आज छुट्टी का दिन है साहब से मुलाकात का कोई सीन नहीं है। कल 11:00 बजे ऑफिस आइए आपकी बात नोट कर ली है और संबंधित थाने को बोल दिया है, शादी रुकवाने वह जाएंगे बात बनती न देख कर जीनत चार रिश्तेदारों के साथ एसपी नार्थ शशि शेखर सिंह के आवास पहुंची। वहां पर भी उसकी कोई सुनवाई नहीं हुई दो 2 साल पुरानी उसकी फाइल में लगी हुई 10-12 प्रार्थना पत्र उल्टे पलटे गए और उनके गनर अंशु यादव ने एएसपी पीआरओ के पास फिर कप्तान ऑफिस भेज दिया। उन्होंने भी 2 साल की इकट्ठा होती हुई 10 एप्लीकेशन उलटी पलटी फिर शिकायत प्रकोष्ठ में भेज दिया। इस दरमियान 100 बार कई फोन नंबरों से 112 नंबर डायल किया गया जो दिन भर बिजी बताता रहा शायद आज वह भी छुट्टी पर था।
इस दरमियान वक्त खिसक रहा था और सुफियान बारात लेकर निकाह पढ़ाने की ओर बढ़ रहा था इससे घबराकर जीनत के पैरोकार ने आईजी जोन लक्ष्मी सिंह जो कि एक महिला है और उन्नाव की कप्तान भी रह चुकी हैं के आवास पर फोन किया उनके पीआरओ ने आश्वासन दिया कि कप्तान के पीआरओ को बोला कि 05222203599 पर फैक्स कर दूं तो बताया गया कि यह नंबर कई दिन से खराब है दो-तीन दिन में ठीक हो जाएगा तब फैक्स कर देना। दिन भर पुलिस के कई दफ्तरों के बीच में पीआर ओपीआरओ खेला जाता रहा। इसके बाद 2 घंटे तक तीन बार कप्तान ऑफिस, तीन बार आईजी ऑफिस, तीन बार एसपी ऑफिस फोन लगाया जाता रहा। आश्वासन पर आश्वासन मिलते रहे।जीनत ने आश्वासन देने वालों को यह बताया भी की फोर्स जाएगी नहीं फोर्स जाएगी नहीं दिन भर कोतवाल कप्तान और आईजी ऑफिस को गुमराह करता रहा। क्षेत्र के प्रतिष्ठित लोगों ने इसमें कई बार सुलह कराने की कोशिश की, लेकिन लड़का पक्ष कभी पंचायत में आया ही नहीं। पहले की तरह कल शाम तक गुमराह करता रहा कि आ रहा हूं…। इससे आजिज आकर मुख्यमंत्री के पोर्टल पर कल शाम को शिकायत दर्ज कराई गई लेकिन वहां से भी जांच जाएगी तो संबंधित थाना क्षेत्र में ही। सुफियान और इमरान के फोन कल शाम से उठने हो गए थे। आज दोपहर कोतवाल ने फोन पर तर्क दिया कि परिवार रजिस्टर और राशन कार्ड में जीनत और उसकी बच्ची का नाम नहीं है। कोतवाल को समझाने का भी प्रयास किया गया कि परिवार रजिस्टर मतदाता सूची और राशन कार्ड में नाम दर्ज कराने औरतें नहीं जाती हैं। प्रधान और पंचायत सेक्रेट्री के कार्यालय में बनवाने के लिए यह काम उत्तर भारत में घर के पुरुष ही करते हैं। उन्हें क्या पता कि उनके मर्दों की नियत में खोट है वह नाम कहां दर्ज करा रहे हैं कहां नहीं दर्ज करा रहे हैं लेकिन कोतवाली है भूल गई कि यह 21वीं सदी का वैज्ञानिक दौर है जहां पर डीएनए टेस्ट करा कर पता चल जाता है कि बेटी का पिता कौन है। यह भी कम हास्यास्पद नहीं है कि पिछले 3 दिन से जिन-जिन नंबरों से सुफियान और इमरान को समझौते के लिए बुलाया गया उन नंबरों पर चौकी इंचार्ज दीपक कुमार और बांगरमऊ कोतवाली के किन्ही वर्मा दरोगा ने फोन कर लंबी पूछताछ भी की। अंदाजा लगाया जा सकता है कि पुलिस लकड़ी व्यापारी को कितना फेवर कर रही है और इस कदर कि जैसे लकड़ी व्यापारी उनका घर चलाता है वरना बेचारे के बच्चे भूखों मर जाते।
गौरतलब है कि आज 17 अक्टूबर को सुफियान बीवी और बेटी का फैसला किए बिना ही दूसरी शादी करने जा रहा था। चौकी इंचार्ज और कोतवाल कप्तान ऑफिस को यह आश्वासन देते रहे कि लड़की को यहां भेज दीजिए उनको मैंने बुला लिया है। उल्लेखनीय है कि जब लड़की 2:00 बजे बांगरमऊ कोतवाली पहुंची तो सुफियान पक्ष का कोई भी बंदा वहां नहीं था तब जीनत को बताया गया कि उनको बुलाया गया है आ रहे हैं यह होते करते 6:00 बज गए पहली बीवी रोज हो करके 4 साल की बच्ची के साथ 10 घंटे की मशक्कत के बाद घर वापस लौट गई। उधर पड़ोस के गांव खैरहन सरैया से इकलौती करोड़पति नई पत्नी लेकर के सुफियान अपने घर आ गया। इस तरह छुट्टी के दिन इंसाफ दिन भर पुलिस की चौखट पर सिसकियां लेता रहा और दिन भर वाह बच्ची निकाहनामा और सरकारी अस्पताल मियागंज से जारी किया हुआ बच्ची का जन्म प्रमाण पत्र लेकर इस दर से उस दर तक टहलते रहे यूपी पुलिस। ऐसे कई केस अतीत में देखे हैं कि जब अनसुनी की इंतिहा हो जाए तो कई पीड़ितों ने क्या-क्या कर डाला है। इसके बाद भी कार्यशैली सुधारने के लिए कोई तैयार नहीं है अगर यही औरत कप्तान के गेट पर माचिस लगा लेती तब भी क्या कप्तान साहब घर से नहीं निकलते सवाल बड़ा है।