पूर्वाभ्यास मैच हार गए हरदा, असर उत्तराखंड तक होगा

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  • क्या सिद्धू का फैलाया रायता समेटेंगी अंबिका सोनी?

पंजाब के प्रभारी हरीश रावत की तमाम कोशिशें नाकाम हो गयी। अपमानित कैप्टन ने इस्तीफा दे दिया। विधानसभा चुनाव से चंद महीने पहले ही कांग्रेस का बुरा हाल हो गया। अब बगावत रोकने की कोशिशें की जा रही हैं। बुढ़ापे में हरदा पूरी रात पंजाब के विधायकों को समझाते रहे, लेकिन क्रिकेटर से नेता बने सिद्धू ने जो रायता बिखेरा वो अब तक नहीं सुलझा। हरदा की कूटनीति और राजनीति का लंबा अनुभव काम नहीं आया। रात को सुनील जाखड़ के नाम पर मुहर लगी लेकिन सुबह वो पन्ना फाड़ दिया गया। अब अंबिका सोनी को कमान सौंपने की तैयारी है। हालांकि वो भी तैयार नहीं हैं। सही भी है। बुढ़ापा क्यों खराब करें सोनी? पंजाब का असर निश्चित तौर पर उत्तराखंड कांग्रेस में पड़ेगा। हरदा के फेल्योर होने से विरोधी गुट की बांछें खिलेंगी। साफ है कि हरदा उत्तराखंड में अब उतने शक्तिशाली नहीं होंगे जितने 2016 से पहले थे।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

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