शिमला, 23 फरवरी। हिमाचल प्रदेश के खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग के एक प्रवक्ता ने आज यहां बताया कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के अंर्तगत् विभाग ने वर्ष 2014 से केंद्र सरकार प्रायोजित योजना, लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के कंप्यूटरीकरण की व्यवस्था (End-to-End Computerization of TPDS operations) को लागू किया जोकि खाद्यान्न वितरण की पारदर्शिता, लाभार्थी की विशिष्ट पहचान तथा लाभार्थी के उचित लक्ष्यीकरण पर बल देती हैं। इन योजनाओं के सफल कार्यान्वयन के लिए विभाग ने पॉस उपकरणों के माध्यम से बायोमिट्रिक प्रमाणीकरण कर लाभार्थियों को खाद्यान्न वितरित किए। प्रारम्भिक चरण में बायोमिट्रिक प्रमाणीकरण शुल्क से उपभोक्ताओं को मुक्त रखा गया।
विभाग के प्रवक्ता ने बताया कि बाद में यूआईडीएआई (भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण) द्वारा बायोमिट्रिक प्रमाणीकरण का शुल्क लिए जाने के फलस्वरूप विभाग को भी बायोमिट्रिक प्रमाणीकरण शुल्क की वसूली 25 पैसे प्रति बिल बतौर बायोमिट्रिक सुविधा शुल्क उपभोक्ताओं से 10 सितंबर 2021 से करनी पड़ी। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली एक कल्याणकारी योजना है तथा सरकार द्वारा इसके कार्यान्वयन पर पहले से ही सब्सिडी प्रदान की जा रही है। इसलिए उपभोक्ताओं को इस सुविधा शुल्क से भी मुक्त करने के उद्देश्य से सरकार द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि इस बायोमिट्रिक प्रमाणीकरण शुल्क को अब राज्य सरकार द्वारा ही वहन किया जाएगा। अब उपभोक्ताओं को बिल के साथ 25 पैसे शुल्क नहीं देना होगा। उन्होंने बताया कि इससे 19 लाख 30 हजार राशन कार्ड धारक उपभोक्ताओं को लाभ होगा और सरकार इस पर लगभग 55.58 लाख रुपये वहन करेगी।
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