शिमला, 17 जनवरी। हिमाचल प्रदेश के शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज ने आज यहां शिमला विकास योजना के अंतिम प्रारूप पर चर्चा के लिए आयोजित नगर नियोजन विभाग की बैठक की अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि 40 वर्षों के पश्चात शिमला विकास योजना का निर्माण किया जा रहा है जो अपने आप में ऐतिहासिक है।
उन्होंने कहा कि शहर के लोगों को राहत प्रदान करने तथा विभिन्न मुद्दों के समाधान के लिए जी.आई.एस. आधारित विकास योजना कार्यान्वित की जाएगी।
शहरी विकास मंत्री ने कहा कि बैठक में शिमला योजना क्षेत्र की विकास योजना के प्रारूप पर विस्तृत प्रस्तुति दी गई और इससे संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई। बैठक में प्रतिभागियों को विकास योजना के प्रारूप की विभिन्न विशेषताओं और प्रावधानों के बारे अवगत करवाया।
बैठक में विकास योजना 2041 के प्रारूप के भाग के तौर पर विभिन्न विकासात्मक गतिविधियों के लिए प्रस्तावित क्षेत्रीय विनियमन और भवन उप-नियमों पर चर्चा की गई। सम्पूर्ण शिमला के भवन सम्बंधी दिशा-निर्देशों को आंतरिक और गैर-आंतरिक क्षेत्रों में बांटा गया है।
शहरी विकास मंत्री ने कहा कि प्रस्तावित भवन उप-नियमों में आंतरिक क्षेत्र के लिए दो मंजिल, एटिक और पार्किंग जबकि गैर-आंतरिक क्षेत्र के लिए तीन मंजिल, एटिक और पार्किंग निर्माण का सुझाव दिया गया। उन्होंने राष्ट्रीय राजमार्गों और राज्य राजमार्गों के साथ लगते भवन की ऊंचाई, मंजिलों की संख्या और भूमि प्रयोग के सम्बन्ध में अधिक रियायत देने की आवश्यकता पर बल दिया।
शिमला योजना क्षेत्र के लिए जी.आई.एस. आधारित विकासात्मक योजना की प्रगति की समीक्षा के बाद शहरी विकास मंत्री ने इस विकास योजना को स्वीकृति देकर 25 जनवरी से पूर्व इसे अधिसूचित करने के निर्देश दिए।
राज्य नियोजक प्रेमलता और निदेशक नगर नियोजन के.के. सरोच भी बैठक में अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ उपस्थित थे।