शिमला, 7 दिसंबर। शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने आज आरोप लगाया कि हिमाचल प्रदेश में आर्थिक अराजकता, उपेक्षा और लोगों के हितों को दरकिनार करने की विरासत छोड़ने के लिए पूर्व भाजपा सरकार की आलोचना की।
उन्होंने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार को तथाकथित ‘डबल इंजन’ सरकार से 75,000 करोड़ रुपये का भारी कर्ज का बोझ विरासत में मिला, जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई।
रोहित ठाकुर ने पूर्व भाजपा सरकार पर शिक्षा क्षेत्र को दरकिनार करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार पर पूर्व सरकार के अव्यवस्थित प्रबंधन को ठीक करने का भी बोझ डाला गया है। पूर्व सरकार के कार्यकाल में राज्य की शिक्षा व्यवस्था दयनीय स्थिति में पहुंच गई। शिक्षा के क्षेत्र में तीसरे स्थान पर रहने वाला हिमाचल प्रदेश 2021 के राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण में 21वें स्थान पर पहुंच गया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार जब सत्ता में आई तो पता चला कि 350 स्कूल बिना शिक्षकों के चल रहे थे। 3,400 स्कूलों में सिर्फ एक शिक्षक था और शिक्षा क्षेत्र में 12,000 से अधिक पद खाली थे। असर की रिपोर्ट के अनुसार शिक्षा के क्षेत्र में प्रदेश का परफॉरमेंस ग्रेडिंग इंडेक्स 18वें स्थान पर लुढ़क गया। पूर्व सरकार के शासन में शिक्षा के क्षेत्र की ऐसी दुर्दशा हुई कि आठवीं कक्षा के विद्यार्थी तीसरी कक्षा की बुनियादी पाठ्यपुस्तक पढ़ने के लिए संघर्ष कर रहे थे।
वर्तमान कांग्रेस सरकार ने प्रदेश में विद्यार्थियों के लिए गुणवत्तापूर्ण और समावेशी शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए 850 संस्थानों को उत्कृष्टता केंद्र के रूप में विकसित किया है। शैक्षणिक और गैर-शैक्षणिक कर्मचारियों के 15 हजार पदों को भरने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है। शिक्षकों के 3,200 पद बैचवाइज भरे गए हैं जबकि 2,800 से अधिक पद राज्य चयन आयोग के माध्यम से भरे जा रहे हैं। राज्य के विद्यार्थी पूर्व सरकार की गलत नीतियों का खामियाजा भुगत रहे हैं और इसे सुधारने के लिए वर्तमान सरकार कड़ी मेहनत कर रही है। मंत्रिमंडल की बैठक में पीजीटी शिक्षकों के 700 पद और एनटीटी के 6200 पद भरने की मंजूरी दी है जिसकी भर्ती प्रक्रिया जल्द शुरू होगी। विद्यार्थियों को समावेशी शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए शैक्षणिक सत्र के बीच शिक्षकों के तबादलों पर प्रतिबंध लगाया गया है। सीधी भर्ती के अलावा पदोन्नति के माध्यम से भी हजारों पद भरे गए हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार ने 120 कॉलेज प्रिंसिपल और 483 सहायक प्रोफेसरों की नियुक्ति की है।
रोहित ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने सरकारी स्कूलों में पहली कक्षा से ही अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाई का अपना चुनावी वायदा भी पूरा किया है। इसके अतिरिक्त प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में अत्याधुनिक तकनीक से लैस राजीव गांधी डे-बोर्डिंग स्कूल स्थापित किए जा रहे हैं।
वर्तमान सरकार ने डॉ. वाई.एस. परमार विद्यार्थी ऋण योजना शुरू की है। इस योजना के तहत छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए महज एक प्रतिशत की मामूली ब्याज दर पर 20 लाख रुपये तक का ऋण प्रदान किया जा रहा है। विदेश में शिक्षा प्राप्त करने वाले आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के छात्रों को भी इस योजना में कवर किया गया है। वर्तमान कांग्रेस सरकार ने विधवा, निराश्रित, परित्यक्त और विकलांग महिलाओं के बच्चों की शिक्षा और कल्याण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से ‘मुख्यमंत्री सुख शिक्षा योजना’ भी शुरू की है। इस योजना के लिए 53.21 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है। 15,181 स्कूलों में ‘बाल पौष्टिक आहार योजना’ शुरू की गई है जिससे 5.34 लाख बच्चों को अंडे, फल जैसे अतिरिक्त पोषण का लाभ मिला है। प्रदेश सरकार ने इस पहल के लिए 12.75 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।
अनियमितताओं को दूर करने के लिए स्मार्ट ड्रेस के लिए डीबीटी योजना शुरू की गई है। शिक्षकों और छात्रों के लिए देश और विदेश में एक्सपोजर विजिट के अलावा प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए हैं। स्कूलों में कृषि और बागवानी को एक अतिरिक्त विषय के रूप में जोड़ा गया है साथ ही स्कूलों में क्लस्टर सिस्टम शुरू किया गया है। शिक्षा क्षेत्र में उत्कृष्ट सेवाओं के लिए शिक्षकों को पुरस्कृत किया जा रहा है। खिलाड़ियों की पुरस्कार राशि, आहार और यात्रा भत्तों में वृद्धि की गई है।
प्रदेश सरकार ने सत्ता में आते ही पहली कैबिनेट बैठक में 1.36 लाख कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन बहाल की है लेकिन क्रेंद सरकार ने अभी तक एनपीएस कर्मियों के 9,200 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया है। प्रदेश में आई आपदा में भी केंद्र सरकार ने कोई मदद नहीं की। प्रदेश सरकार ने अपने संसाधनों से प्रभावितों को 4500 करोड़ रुपये का पैकेज प्रदान किया। भाजपा नेताओं ने आपदा में भी स्वार्थ की राजनीति की। केंद्र सरकार के पास प्रदेश के 9000 करोड़ रुपये की आपदा राहत अभी भी लंबित है। कांग्रेस सरकार ने प्रदेश के किसानों के लिए गेहूं और मक्की का देश में सबसे अधिक समर्थन मूल्य तय किया है। प्राकृृतिक खेती से उगाई गई गेहूं 40 रुपये और मक्की 30 रुपये प्रति किग्रा की दर पर खरीदी जा रही है। 36 हजार किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ा गया है जिससे उनकी आर्थिकी सुदृढ़ हो रही है।
प्रदेश के बागवानों की लंबित मांग को पूरा कर यूनिवर्सल कार्टन लागू किया गया है। सेब, आम और नीबूं प्रजाति के फलों के लिए 12 रुपये प्रति किग्रा न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया गया है। पूर्व भाजपा सरकार द्वारा कीटनाशकों पर बंद की गई सब्सिडी वर्तमान सरकार ने बहाल की है। मंडी मध्यस्थता योजना के तहत बागवानों को 163 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है जिसमें 90 करोड़ रुपये पूर्व भाजपा सरकार की देनदारियां थीं।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश दूध पर न्यूनत समर्थन मूल्य देने वाला देश का पहला राज्य है। वर्तमान सरकार ने दूध के मूल्य में ऐतिहासिक वृद्धि करते हुए गाय के दूध का मूल्य 32 से 45 रुपये और भैंस के दूध का मूल्य 47 से 55 रुपये प्रतिकिलो तय किया है। हिमगंगा योजना के तहत कांगड़ा जिले के ढगवार में दुग्ध प्रसंस्करण संयंत्र अत्याधुनिक तकनीक से तैयार किया जा रहा है।
केंद्र सरकार ने प्रदेश के साथ सौतेला व्यवहार किया और पंूजीगज निवेश योजना के तहत 3,296 करोड़ की राशि से भी महरूम रखा। अन्य प्रदेशों की तर्ज पर राज्य में भी पर्यटन क्षेत्र को सुदृढ़ करने के लिए यहां से राशि जारी की जा सकती थी। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू प्रदेश में बुद्ध सर्किट, इको-टूरिज्म और कांगड़ा को पर्यटन राजधानी बनाने के लिए प्रयासरत हैं। इसके बावजूद केंद्र सरकार ने प्रदेश सरकार की सभी पहलों को दरकिनार किया।
भाजपा नेताओं ने प्रदेश की कांग्रेस सरकार को अस्थिर करने के भरपूर प्रयास किए लेकिन प्रदेश की प्रबुद्ध जनता ने उनके सभी मंसूबों पर पानी फेर दिया।