कृषि विपणन बोर्ड ने जयराम ठाकुर के आरोपों को नाकारा

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शिमला, 22 जुलाई। हिमाचल प्रदेश राज्य कृषि विपणन बोर्ड ने डिजिटल टेंडर में अनियामितताओं को लेकर नेता प्रतिपक्ष द्वारा फैलाई जा रही भ्रामक खबरों का खंडन किया है।
बोर्ड के प्रवक्ता ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष के आरोप पूरी तरह निराधार और तथ्यों से परे हैं जिसमें कोई भी सच्चाई और आंकड़े नहीं हैं। बोर्ड के प्रवक्ता ने आज यहां बताया कि आकलन समिति द्वारा निविदा प्रक्रिया की सारी औपचारिकताओं में पूरी पारदर्शिता बरती गई।
उन्होंने कहा कि बोर्ड ने एकीकृत प्रबंधन प्रणाली के डिजाइन, विकास, कार्यान्वयन और रखरखाव के लिए सिस्टम इंटीग्रेटर का चयन करने को एक प्रस्ताव का अनुरोध जारी किया। मुख्यमंत्री के 2024-25 के बजट भाषण की घोषणा की अनुपालना करते हुए प्रस्ताव का अनुरोध जारी किया गया।
उन्होंने कहा कि निविदा दस्तावेज तैयार करते समय हिमाचल प्रदेश वित्तीय नियम-2009 के तहत हिमाचल प्रदेश स्टेट इलैक्ट्रॉनिक डेवलपमेंट कॉरपोरेशन से सलाहकार की नियुक्ति की गई। एकीकृत प्रबंधन प्रणाली के डिजाइन का कार्यान्वयन, विकास, रखरखाव, आकलन और निविदा जारी करने के लिए एक निविदा समिति गठित की गई। प्रस्ताव का अनुरोध दस्तावेज तैयार होने के बाद प्रमुख समाचार-पत्रों के माध्यम से निविदा जारी की गई।
प्रवक्ता ने कहा कि निविदा समिति ने आकलन करने के बाद बोलीदाताओं को अंतिम रूप दिया और सभी को समान अवसर प्रदान करते हुए आवश्यक दस्तावेजों और अभ्यावेदन जमा करवाने को कहा गया। निविदा समिति ने कर्मठता के साथ नियम और शर्तों की अनुपालना करते हुए योग्य पाए गए बोलीदाताओं को तकनीकी प्रस्तुति देने के लिए कहा।
उन्होंने कहा कि निविदा समिति ने तकनीकी प्रस्तुति के आधार पर बोलीदाताओं का आकलन किया और नियम और शर्तों के तहत योग्य पाए गए बोलीदाताओं को आशय-पत्र दिया। आशय-पत्र मिलने के बाद योग्य बोलीदाता ने अंकित किए गए मूल्य में जीएसटी को समाहित करने के लिए निविदा समिति को अपनी प्रस्तुति दी। बिल ऑफ क्वांटिटी में जीएसटी का जिक्र नहीं किया गया था। बोलीदाता के आग्रह को संज्ञान में लेते हुए यह निर्णय लिया गया कि डिजिटाइज प्रक्रिया के लिए बोलीदाताओं को जीएसटी के साथ मूल्य अंकित करना अनिवार्य था और इसी के चलते निविदा को रद्द किया गया। बोलीदाता प्रस्ताव का अनुरोध दस्तावेज के नियमों के अनुरूप निविदा की शर्तें पूरी नहीं कर पाए।
उन्होंने कहा कि निविदा की पूरी प्रक्रिया के दौरान निविदा समिति द्वारा सरकार के अनिवार्य दिशानिर्देशों और वित्तीय नियमों का पूरा पालन किया। अंकित मूल्य में जीएसटी को समाहित करने के आग्रह को समिति द्वारा ठुकरा दिया गया। निविदा की पूरी प्रक्रिया के दौरान निविदा समिति में आईटी विभाग, अकाउंट, मार्केटिंग, लीगल और अन्य विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल रहे।

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