यहां से मान्यता प्राप्त करने वाली प्रदेश की पहली प्रयोगशाला बनी ‘एचआईवी डायग्नोस्टिक प्रयोगशाला’

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शिमला, 25 जून। स्वास्थ्य सचिव एम सुधा देवी ने आज यहां बताया कि आईजीएमसी शिमला के माइक्रोबायोलॉजी विभाग की एचआईवी डायग्नोस्टिक प्रयोगशाला राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड से मान्यता प्राप्त करने वाली प्रदेश की पहली प्रयोगशाला बन गई है।
उन्होंने जानकारी दी कि हिमाचल प्रदेश राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी के अंतर्गत् कार्यरत माइक्रोबायोलॉजी विभाग की एचआईवी डायग्नोस्टिक प्रयोगशाला को 27 मई को राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड (एनएबीएल) द्वारा प्रदान किए गए प्रमाणन के साथ आईएसओ 15189ः2012 एनएबीएलः 112 की आवश्यकताओं को पूरा किया है।
उन्होंने बताया कि यह प्रयोगशाला उच्च स्तर की गुणवत्तापूर्ण उच्च मानकों की स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर रही है और एनएबीएल द्वारा यह प्रमाणीकरण बताता है कि यह प्रयोगशाला गुणवत्ता, विश्वसनीयता और प्रतिलिपि प्रस्तुत करने योग्य सुविधा सुनिश्चित कर रही है।
एम सुधा देवी ने कहा कि प्रशिक्षण और अंशांकन प्रयोगशालाओं के लिए राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड भारतीय गुणवत्ता परिषद् का एक घटक बोर्ड है, जिसमें प्रशिक्षण की तकनीकी दक्षता के लिए प्रयोगशाला का तीसरे पक्ष का मूल्यांकन शामिल है। एचआईवी निदान प्रयोगशालाओं के लिए एनएबीएल मान्यता महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि यह गुणवत्ता क्षमता के अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन सुनिश्चित करती है। यह मान्यता निदान परिणामों की विश्वसनीयता और सटीकता को बल देती है जो प्रभावी रोगी प्रबंधन और सार्वजनिक स्वास्थ्य रणनीतियों के लिए महत्त्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि यह रोगियों, स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं और नियामक निकायों के बीच प्रयोगशाला की क्षमताओं की विश्वसनीयता भी बढ़ाती है। इसके अतिरिक्त, एनएबीएल मान्यता राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों में भागीदारी की सुविधा प्रदान करती है तथा निरंतर सुधार और सुदृढ़ गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली को बढ़ावा देती है। यह उच्च गुणवत्ता वाली पद्धतियों को बनाए रखने में प्रयोगशाला का समर्थन करता है और एचआईवी महामारी को नियंत्रित करने और प्रतिबंधित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

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