बंद सड़कें खोले सरकार, किसानों-बागवानों की फसलें हो रही बर्बाद

274

शिमला, 4 अगस्त। पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि अब बातें बहुत हो गई हैं, धरातल पर काम होते दिखना चाहिए। आपदा से बंद पड़ी सड़कों को खोलने का काम युद्ध स्तर पर किया जाना चाहिए। आपदा को एक महीने का समय हो गया है और लोगों के सब्र का बांध टूट रहा है। सरकार की हीलाहवाली का असर फसलों पर पड़ रहा है। फसलें और सेब अपने समय पर तैयार होते हैं और तैयार होने के बाद उन्हें मंडियों तक ले जाना होता है। आज सड़कें न सही हो पाने की वजह से बागवानों और किसानों के उत्पाद बाजार तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। आपदा प्रभावित क्षेत्रों में सड़कें बंद होने की वजह से सब्जियों और फलों के सड़ने और मजबूरन उन्हें फेंकने की खबरें हर दिन समाचार पत्रों में प्रकाशित हो रही हैं। यह स्थिति दुःखद है। किसान-बागवान खून पसीना एक करके फसलों का उत्पादन करते हैं। ऐसे में उन उत्पादों के सड़ जाने से उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। इसलिए सरकार जल्दी से जल्दी बंद सड़कों को खोलने का इंतजाम करे। उन्होंने कहा कि सिर्फ किसानों बागवानों को ही नहीं आम लोगों को भी हर रोज परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। आपातस्थिति में किसी मरीज को कहीं ले जाने में भी लोगों को कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। लोग सड़कें न सही होने की वजह से मरीजों को पालकी पर रखकर घंटों तक पैदल सफर कर अस्पताल पहुंचने को विवश हैं।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि किसानी और बागवानी के काम में भी भारी निवेश होता है। फसल को लगाने से लेकर उत्पाद को मंडी तक पहुंचाने में किसानों को काफी लागत लगानी पड़ती है। इसके बाद ही उत्पाद बाजार में बिकता है और उन्हें आय होती है लेकिन आपदा की वजह से पूरी तरह से तैयार फसलें बर्बाद हो रही हैं। जिससे किसानों और बागवानों की लागत भी डूब रही है। इस स्थिति से निपटने के लिए आपदा प्रभावित क्षेत्रों की सड़कें जल्दी से जल्दी खोलने की आवश्यकता है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार को किसानों और बागवानों के हितों को ध्यान में रखते हुए सड़कों की सही करने के काम में तेजी लाने की आवश्यकता है। जिससे कृषि और बागवानी उत्पादों को बाजार तक आसानी से पहुंचाया जा सके।

हिमाचल प्रदेश की जनजातीय बोलियों की शब्दावली जारी

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here