शिमला, 20 जुलाई। हिमाचल प्रदेश के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना के लिए मानक संचालन प्रक्रिया अधिसूचित की गई है। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विभाग को इस महीने के अंत तक सभी बाल विकास परियोजना अधिकारी (सीडीपीओ) कार्यालयों, उपमंडल कार्यालयों और जिला स्तर पर जिला कार्यक्रम अधिकारी कार्यालयों में इस योजना के फॉर्म की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।
योजना को लागू करने के लिए बनाई गई मानक संचालन प्रक्रिया के अनुसार संबद्ध विभागों के अधिकारियों की जिम्मेदारी सुनिश्चित की गई है कि वे लाभार्थियों की सूची तैयार करेंगे, जिसे उपायुक्त स्वीकृत करेंगे।
ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि इस योजना के तहत लाभ प्राप्त करने के लिए फॉर्म शीघ्र ही सीडीपीओ कार्यालयों में उपलब्ध करवाए जाएंगे। उन्होंने सभी से आग्रह किया है कि इस योजना के तहत अपने आसपास के क्षेत्र में अनाथ बच्चों का नामांकन करवाएं ताकि वे योजना के लाभ प्राप्त कर सकें। यह योजना वर्तमान प्रदेश सरकार की प्रमुख योजनाओं में शामिल है तथा प्रदेश में कानून बनाकर 6000 अनाथ बच्चों को ‘चिल्ड्रन ऑफ दि स्टेट’ के रूप में अपनाया गया है।
आवेदन पत्र प्राप्त करने के उपरांत विभागीय अधिकारी दस्तावेजों की जांच करेंगे तथा पात्रता का प्रमाण पत्र प्रदान करेंगे। मुख्यमंत्री ने विभाग को पूरे राज्य में मिशन मोड पर पात्र बच्चों के फॉर्म भरने के निर्देश दिए हैं।
ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि प्रदेश सरकार ने अनाथ बच्चों को आत्मनिर्भर बनने के लिए सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से यह योजना आरंभ की है ताकि वे समाज पर निर्भर न रहें। इन बच्चों को श्रेष्ठ शिक्षा और आवास सुविधा प्रदान की जाएगी। इसके अतिरिक्त, प्रत्येक बच्चे के लिए आवर्ती जमा खाता खोला जाएगा, जिसमें राज्य सरकार योगदान देगी।
मुख्यमंत्री के दिशा-निर्देशानुसार विभाग ने योजना के तहत लाभ प्राप्त करने के लिए निर्धारित फॉर्म को सरल बनाया है जिसमें कम से कम कागजी कार्रवाई की आवश्यकता है। योजना के तहत विवाह अनुदान, कोचिंग अनुदान, उच्च शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण, कौशल विकास और स्वरोजगार उद्यम इत्यादि विभिन्न लाभ शामिल हैं।
प्रदेश सरकार 27 वर्ष की आयु तक इन बच्चों के खाने, आश्रय, भोजन, कपड़ों आदि का खर्च भी वहन करेगी। उच्च शिक्षा प्राप्त करने के दौरान इन बच्चों को जेबखर्च के तौर पर 4000 रुपये प्रति माह का स्टाइपंड दिया जाएगा। इन बच्चों को वर्ष में एक बार तीन सितारा होटलों में रहने और हवाई यात्रा की सुविधा के साथ राज्य के भीतर और बाहर भ्रमण के लिए ले जाया जाएगा। योजना के तहत मकान बनाने के लिए भूमिहीन अनाथ बच्चों को तीन बिस्वा भूमि आवंटन सहित आवास अनुदान का भी प्रावधान है।