- जन औषधि केन्द्रों पर 1759 से अधिक उच्च गुणवत्ता वाली दवाएं उपलब्ध
शिमला, 6 मार्च। राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने आज यहां कहा कि प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना (पीएमबीजेपी) के तहत हिमाचल प्रदेश के लोगों को 48 जन औषधि केंद्रों के माध्यम से सस्ती दरों पर गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाएं उपलब्ध करवाई जा रही हैं। उन्होंने लोगों से इस परियोजना का लाभ उठाएं उठाने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा कि 7 मार्च को पीएमबीजेपी के तहत पांचवें जन औषधि दिवस का आयोजन किया जा रहा है और इस वर्ष कार्यक्रम की विषय वस्तु ‘जन औषधि-सस्ती भी, अच्छी भी’ है। उन्होंने कहा कि एक मार्च से प्रदेशभर में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है, ताकि लोगों का जन औषधि पर विश्वास बढ़े।
उन्होंने कहा कि जन औषधि दवाओं की कीमतें आम तौर पर ब्रांडेड दवाओं की कीमतों की तुलना में 50 से 90 फीसदी कम होती हैं। ये दवाएं खुले बाजार में उपलब्ध होती हैं और इनकी गुणवत्ता महंगी ब्रांडेड दवाओं के समान होती हैं। उन्होंने कहा कि यह योजना उन लोगों के लिए बहुत फायदेमंद है जो उपचार के लिए प्रतिदिन दवा का सेवन करते हैं। उन्होंने कहा कि इन केंद्रों पर 1759 से अधिक उच्च गुणवत्ता वाली दवाएं और 280 सर्जिकल और अन्य उत्पाद उपलब्ध करवाए जाते हैं। सभी दवाएं डब्ल्यूएचओ-जीएमपी प्रमाणित आपूर्तिकर्ताओं से ही खरीदी जाती हैं। गोदामों में प्राप्त होने के बाद दवा के प्रत्येक बैच का स्वतंत्र रूप से परीक्षण किया जाता है। इन दवाओं का राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड (एनएबीएल) द्वारा मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं में सर्वोत्तम गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए परीक्षण किया जाता है और इसके पश्चात ही दवाओं को बिक्री के लिए केंद्र में भेजा जाता है।
उन्होंने सभी चिकित्सकों से भी आग्रह किया है कि वे मरीजों को जेनरिक दवाओं का परामर्श दें ताकि गरीब व अन्य वर्गों को इसका लाभ मिल सके।
राज्यपाल ने संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि प्रदेश में वित्त वर्ष 2022-23 में जन औषधि केंद्रों से दवाओं की बिक्री से लगभग 30 करोड़ रुपये की बचत हुई है। आयुष्मान और हिम केयर कार्ड के जरिए भी 50 करोड़ रुपये की बचत की गई है।
उन्होंने कहा कि यह योजना युवाओं को रोजगार के अवसर भी प्रदान करती है। केंद्र के संचालकों को सरकार द्वारा पांच लाख रुपये तक की सहायता प्रदान की जाती है तथा महिला उद्यमियों, दिव्यांगों, सेवानिवृत्त सैनिकों, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के युवाओं व पर्वतीय क्षेत्रों में भी दो लाख रुपये की आर्थिक सहायता भी दी जाती है। उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति, फार्मासिस्ट उद्यमी, गैर सरकारी संगठन, ट्रस्ट, सोसायटी संस्थान आदि, जिनके पास 120 वर्ग फुट की दुकान और एक प्रशिक्षित फार्मासिस्ट उपलब्ध है, वे जन औषधि केंद्र खोल सकते हैं। उन्होंने कहा कि ये योजना रोजगार और आय के वैकल्पिक साधन के साथ उभरी है, जिसका प्रदेश की जनता को लाभ उठाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि योजना के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है ताकि लोगों को उचित मूल्य पर गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाओं का लाभ प्राप्त हो सके। उन्होंने कहा कि इन केन्द्रों में उपलब्ध दवाएं आम लोगों के लिए वरदान साबित हो रही हैं।
राज्यपाल के सचिव राजेश शर्मा भी इस अवसर पर उपस्थित थे।