शिमला, 2 फरवरी। हिमाचल में सुख की सरकार मानवीय सरोकारों को विशेष अधिमान देते हुए सेवा और सुशासन के पथ पर निरंतर आगे बढ़ रही है। मुख्यमंत्री पद पर आसीन होने के दो माह के भीतर ही ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अनेक पहल कर बेसहारा व ज़रूरतमंद लोगों को सहारा प्रदान किया है। नववर्ष की पावन वेला पर मुख्यमंत्री सुख-आश्रय सहायता कोष की स्थापना से ही यह स्पष्ट हो गया था कि जन कल्याण की दिशा में वह मज़बूत इरादों के साथ आगे बढ़ेंगे। मुख्यमंत्री की पहल से सुख-आश्रय सहायता कोष के माध्यम से अब अनेक लोगों की जिंदगी संवरने लगी है।
बुधवार को शिमला स्थित प्रदेश सचिवालय में एक 27 वर्षीय निराश्रित बालिका ने मुख्यमंत्री से भेंट कर उन्हें अवगत करवाया कि उसके पास रहने के लिए कोई आवास नहीं है, न ही वह अनाथ आश्रम में रह सकती हैं क्योंकि अनाथ आश्रम में रहने के लिए आयु 26 वर्ष निर्धारित की गई है।
ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मानवीय संवेदनाओं को अधिमान देते हुए अनाथ आश्रम में रहने की आयु 26 वर्ष से बढ़ाकर 27 वर्ष करने का निर्णय लिया। अब यह बालिका एक वर्ष तक अनाथालय में रह सकती है। उन्होंने कहा कि इस बालिका को घर बनाने के लिए भूमि और पर्याप्त धनराशि भी प्रदान की जाएगी। एक वर्ष के भीतर उसका अपना आशियाना होगा।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार प्रत्येक निराश्रित बालिका को घर बनाने के लिए 4 बिस्वा भूमि और पर्याप्त धनराशि भी प्रदान करेगी। यह मुख्यमंत्री के दृढ़ इरादों और संवेदनशील सोच से ही संभव हो पाया। दूरदर्शी सोच से स्थापित मुख्यमंत्री सुख-आश्रय सहायता कोष निश्चित रूप से व्यवस्था परिवर्तन की सरकार की सोच को संबल प्रदान करेगा।