शिमला, 2 अगस्त। हिमाचल प्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र आज शुरू हो गया। पहले दिन की कार्यवाही राष्ट्रीय गान के साथ शुरू हुई। विधानसभा अध्यक्ष विपिन परमार ने सदन की कार्यवाही दिवंगत नेताओं के निधन के शोकोद्गार के साथ की। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री एवं अर्की के विधायक वीरभद्र सिंह की सेवाओं को याद किया गया। इसके अलावा पूर्व विधायकों भोरंज (हमीरपुर) के अमर सिंह चौधरी, जोगिन्दरनगर (मंडी) से राम सिंह, राजगीर (चंबा) से मोहन लाल के निधन पर शोक प्रकट किया गया।
मुख्यमंत्री ठाकुर ने शोकोद्गार पर पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के राजनीतिक जीवन की जमकर प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि वीरभद्र सिंह मज़बूत नेता थे। उन्होंने वर्ष 1983 से 1985 तक पहली बार, फिर 1985 से 1990 तक दूसरी बार, 1993 से 1998 तक तीसरी बार, 1998 में कुछ दिन चौथी बार, वर्ष 2003 से 2007 पांचवीं बार और वर्ष 2012 से 2017 तक छठी बार मुख्यमंत्री पद संभाला। हाल ही में 8 जुलाई को वीरभद्र सिंह का निधन हो गया था। भाजपा नेता एवं विधायक नरेंद्र बरागटा के निधन पर भी शोक व्यक्त किया गया। मुख्यमंत्री ने पांच सदस्यों के निधन पर दुःख व्यक्त किया। कोरोना व मानसून की आपदा में मारे गए लोगों के निधन पर भी मुख्यमंत्री ने दुःख ज़ाहिर किया।
मुख्यमंत्री के बाद विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री ने बताया कि 9 बार विधायक, 5 बार सांसद रहे व 6 बार मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह भले ही राज परिवार में पैदा हुए लेकिन 60 साल तक लोगों के दिलों में राज किया। उन्होंने कहा कि डॉ. परमार को जहां हिमाचल का निर्माता कहा जाता है तो वीरभद्र सिंह को आधुनिक हिमाचल का निर्माता माना जाता है। हम जैसे लोगों को राजनीति में लाए व उंगली पकड़कर चलना सिखाया। हॉली लॉज में बिना समय लिए उनसे कोई भी व्यक्ति मिल सकता था। राजनीति में आदर्श स्थापित किए। वन कटान पर सख्ती से निबटे, लोकायुक्त के दायरे में मुख्यमंत्री को भी रखा। धर्मान्तरण तक का कानून सदन में लेकर आए। धर्मशाला में विधानसभा बना दी। हिमाचल को ऊर्जा राज्य बनाने में अहम भूमिका अदा की। उन्होंने वीरभद्र सिंह की प्रतिमा को रिज मैदान पर स्थापित करवाने की मांग उठाई। अग्निहोत्री ने नरेन्द्र बरागटा व अन्य नेताओं को भी याद किया।
संसदीय मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि वह तो वीरभद्र सिंह के निजी आवास हॉली लॉज में ही पैदा हुए। वीरभद्र सिंह धर्म कर्म से विशुद्ध हिंदू थे। वीरभद्र सिंह ने धर्मांतरण का बिल लाया जो समूचे भारत में पहला बिल था। ऐसा कोई गांव नहीं होगा जहां वीरभद्र सिंह अपने क्षेत्र में पैदल न गए हों। गरीब की मदद के लिए हमेशा तत्पर रहते थे। कई स्कूल प्रदेश में लोगों की मांग पर खोले। नरेंद्र बरागटा को लेकर सुरेश भारद्वाज ने कहा कि वह उनके सहपाठी रहे। स्वयं बागवान होते हुए बागवानी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किया। कांग्रेस की तरफ से आशा कुमारी ने शोकोदगार में बोलते हुए बताया कि आज तक ऐसा नहीं हुआ कि किसी सत्र में दो सदस्यों की मौत के कारण शोकोदगार हुआ हो। वीरभद्र सिंह 28 साल की उम्र में महासू से सांसद बने थे। वीरभद्र सिंह युग पुरुष थे। उन्होंने कहा कि वीरभद्र सिंह उनके सगे मौसा थे और उन्होंने उन्हें उँगली पकड़कर चलना सिखाया। वीरभद्र सिंह खुद टाइप किया करते थे। मंदिरों को सरकारी अधिग्रहण करने का कानून उन्होंने लाया। वीरभद्र सिंह कॉलेज प्रोफेसर बनाना चाहते थे। संसद में 68 सदस्यों की मांग भी वीरभद्र सिंह ने उठाई थी। नरेंद्र बरागटा व अन्य सदस्यों के निधन पर भी उन्होंने शोक व्यक्त किया। शोकोदगार में अन्य सदस्य भी भाग लिया।