हिप्र को मिला पहला विज्ञान केंद्र, ठाकुर ने कहा- छात्रों में विकसित करेगा वैज्ञानिक स्वभाव

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पालमपुर में हिमाचल प्रदेश के पहले विज्ञान केंद्र के उद्घाटन के मौके पर अनुराग ठाकुर। साथ में हिमाचल प्रदेश टूरिज्म एसोसिएशन के चेयरमैन रविंद्र शर्मा।

पालमपुर, 14 मई। केंद्रीय सूचना, प्रसारण और खेल एवं युवा मामले मंत्री अनुराग ठाकुर ने आज कांगड़ा जिले के पालमपुर में हिमाचल प्रदेश के पहले विज्ञान केंद्र का उद्घाटन किया। इस अवसर पर सांसद किशन कपूर भी उनके साथ मौजूद रहे। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद (एनसीएसएम), संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के तहत एक स्वायत्त संगठन है।
भारत सरकार ने विज्ञान की संस्कृति को बढ़ावा देने की योजना के माध्यम से विकास किया है। परियोजना की लागत 9.0 करोड़ रुपये है। ऐसे केंद्रों के विकास का मुख्य उद्देश्य देश में वैज्ञानिक दृष्टिकोण और स्वभाव विकसित करने के साथ-साथ संबंधित क्षेत्रों में विज्ञान और प्रौद्योगिकी में अनुसंधान के योगदान को चित्रित करना है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में, देश में 25 विज्ञान संग्रहालय/विज्ञान केंद्र राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद (एनसीएसएम) के प्रशासनिक नियंत्रण में कार्य कर रहे हैं। एनसीएसएम ने राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों के सहयोग से पहले ही 22 विज्ञान केंद्र स्थापित किए हैं और बाद में संचालन और रखरखाव के लिए संबंधित राज्य सरकार को सौंपे गए हैं। पालमपुर विज्ञान केंद्र का रखरखाव और संचालन राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद, कोलकाता द्वारा राष्ट्रीय विज्ञान केंद्र, दिल्ली के माध्यम से किया जाएगा।
उन्होंने हिमाचल प्रदेश के सभी छात्रों से आग्रह किया कि वे अनिवार्य रूप से पालमपुर विज्ञान केंद्र का दौरा करें ताकि वैज्ञानिक स्वभाव को विकसित किया जा सके। उन्होंने खिलाडि़यों के उदाहरण का हवाला देते हुए कहा कि विज्ञान के ज्ञान के बिना खिलाड़ी भी इष्टतम परिणाम प्राप्त नहीं कर सकते हैं। उन्होंने नेशनल काउंसिल ऑफ साइंस म्यूजियम को भी सलाह दी कि केंद्र में नई सुविधाएं जोड़ते रहें ऐसा ही एक अतिरिक्त तारामंडल हो सकता है।
उन्होंने कहा कि पालमपुर साइंस सेंटर में ‘अनटैम्ड अर्थ’ नामक एक विषयगत गैलरी के रूप में स्टार आकर्षण है, जिसमें लगभग 25 इंटरेक्टिव प्रदर्शन हैं। दो सक्रिय टेक्टोनिक प्लेटों के जंक्शन पर स्थित संवेदनशील हिमालयी बेल्ट को ध्यान में रखते हुए इसे विशेष रूप से अवधारणा और क्यूरेट किया गया है। हिमाचल प्रदेश अलग-अलग तीव्रता की भूकंपीय गतिविधियों के लिए प्रवण है, जिसके परिणामस्वरूप प्राकृतिक घटनाएंध्आपदाएं जैसे भूस्खलन, अचानक बाढ़, हिमस्खलन, जंगल की आग आदि होती हैं जो जीवन और संपत्ति पर विनाशकारी प्रभाव डाल सकती हैं। इन इंटरेक्टिव प्रदर्शनों के माध्यम से पृथ्वी द्वारा पेश की जाने वाली इन अविश्वसनीय और भयानक घटनाओं में से कुछ का पता लगा सकते हैं और उनके पीछे के विज्ञान के साथ देख सकते हैं।
अनुराग ने कहा कि केंद्र की अन्य सुविधाएं साइंस पार्क, इनोवेशन हब, पोर्टेबल प्लेनेटेरियम और फन साइंस गैलरी हैं। केंद्र में 3000 वर्ग मीटर का निर्मित क्षेत्र और 2500 वर्ग मीटर प्रदर्शनी स्थान है। केंद्र में अस्थायी प्रदर्शनी लगाने का भी प्रावधान है। वर्तमान में ‘डिजिटल इंडिया’ पर प्रदर्शनी लगाई जाती है। अंतरिक्ष विज्ञान में भारत की उल्लेखनीय उपलब्धियों के कारण, खगोल विज्ञान और खगोल भौतिकी ने सहस्राब्दियों के बीच नए उत्साह और रुचि को जगाया है। अद्वितीय पोर्टेबल तारामंडल, जो एक समय में लगभग 25 छात्रों को समायोजित कर सकता है, खगोल विज्ञान और अंतरिक्ष विज्ञान से संबंधित प्रारंभिक ज्ञान प्रदान करेगा और खगोलीय घटना, रात के आकाश, ग्रहण आदि के पीछे विज्ञान को समझाने में भी आसान होगा। संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा तय किया गया है, अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय सप्ताह के उत्सव को चिह्नित करने के लिए 15-20 मई से सभी आगंतुकों के लिए प्रवेश निःशुल्क होगा। इस मौके पर हिमाचल प्रदेश टूरिज्म एसोसिएशन के चेयरमैन रविंद्र शर्मा भी मौजूद थे।

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