देहरा में सुनामी से पहले की खामोशी, ध्याण के मैदान में उतरने से बदले समीकरण

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देहरा (कांगड़ा), 9 जुलाई। हिमाचल प्रदेश की तीन विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव में हॉट सीट बन चुकी देहरा विस सीट में चुनाव प्रचार थमने के साथ ही सुनामी से पहले की खामोशी है। धरती पुत्र के नारे पर निर्दलीय प्रत्याशी पर दांव खेलती आ रही देहरा की जनता के सामने ध्याण (बेटी) के चुनाव मैदान में उतरने से समीकरण बदले हुए नजर आ रहे हैं।
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू की पत्नी कमलेश ठाकुर को कांग्रेस का प्रत्याशी बनाए जाने के बाद से सुर्खियों में आए इस विस क्षेत्र की जनता 10 जुलाई को एक बड़ा फैसला लेने जा रही है। भले ही देहरा विस क्षेत्र की जनता पहले दो बार निर्दलीय विधायक होशियार सिंह को धरती पुत्र मान कर उन्हें विजयश्री का आशीर्वाद देती आ रही है, मगर इस बार यहां के मतदाताओं के जहन में उनको लेकर कई सवाल हैं। इनमें सबसे बड़ा सवाल उनके आजाद प्रत्याशी होते हुए भी भाजपा में शामिल होकर विधायकी से साढ़े तीन साल पहले ही इस्तीफा देना है। ऊपर से विधायकी बेचने के सीएम के आरोपों ने भी देहरा की जनता के कान खड़े कर रखे हैं।
उपचुनाव का कारण बने होशियार सिंह भले ही अपने फैसले को लेकर लाख दलीलें दे रहे हैं, मगर आजाद प्रत्याशी होते हुए भी भाजपा के विधायकों के साथ बैठने की वैधानिक छूट होने के बावजूद बाकी दो अन्य निर्दलीय विधायकों के साथ मिलकर विधायक पद से इस्तीफा देना आम जनता के गले नहीं उतर रहा। खासकर कांग्रेस के पूर्ण बहुमत से सत्ता पर काबिज होने के चलते विपक्षी दल भाजपा के लिए उनका चुनाव लड़ना देहरा की जनता को रास नहीं आ रहा। कुछ हद तक देहरा की आम जनता इस उपचुनाव से आहत है। वहीं कांग्रेस पार्टी ने जिस प्रकार से उपचुनाव को अवसर के तौर पर लेते हुए देहरा से मुख्यमंत्री की धर्मपत्नी कमलेश ठाकुर पर दांव खेला उससे भाजपा के साथ-साथ खुद होशियार सिंह भी सकते में हैं। कांग्रेस पार्टी और खुद सीएम देहरा की जनता के जहन तक यह बात पहुंचाने में जुटे रहे कि पूर्व विधायक की गलती के चलते देहरा की जनता को प्रदेश की सरकार में अपना विधायक बैठाने और देहरा का विकास करवाने का सुनहरी मौका मिला है और वो भी सीएम की पत्नी के रूप में।
घर-गृहस्थी से सियासत में उतरी कमलेश ठाकुर ने प्रचार में दिखाया कौशल
कांग्रेस के कदावर नेता रहने के बाद सीएम बने ठाकुर सुखविंद्र सुक्खू के लंबे राजनीति जीवन के बावजूद उनकी पत्नी कमलेश ठाकुर ने खुद को राजनीति से दूर ही रखा था और घर-गृहस्‍थी तक ही सीमित थीं। इसके बावजूद अपने पति के चुनाव क्षेत्र नादौन में प्रचार में सक्रियता के चलते वह चुनावी दांव पेचों से भली भांति परिचित भी थीं। ऐसे में कमलेश ठाकुर ने देहरा से कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर चुनाव मैदान में उतारे जाने के दिन से चुनाव प्रचार समाप्‍त होने तक के महज तीन सप्ताह के कम समय में ही देहरा के कौने-कौने में जाकर प्रचार अभियान को बखूबी अंजाम दिया। खासकर देहरा उपमंडल में ही मायका (डीलिमिटेशन के बाद जसवां परागपुर विस क्षेत्र में शिफ्ट हो चुका है) होने के चलते देहरा की जनता से उनकी ही भाषा और लिहाजे में संवाद करना उनको देहरा की बेटी के तौर पर स्थापित करने में खासा मददगार साबित हुआ। वहीं उनके प्रचार को धार देने में स्वयं मुख्यामंत्री की ताबड़तोड़ जनसभाओं का भी बड़ा योगदान रहा है।
देहरा को सीएम का क्षेत्र कहने में छिपे हैं बड़े सियासी मायने
सीएम ने देहरा की जनता को यकीन दिलाया है कि देहरा अब उनका है और कमलेश ठाकुर के विजयी होने पर देहरा मुख्यमंत्री का अपना विधानसभा क्षेत्र होगा। सीएम की इस बात के गहरे मायने भी हैं। उन्होंने देहरा को लेकर जो यह बात कही है और देहरा में अपना कार्यालय खोलने की घोषणा की है उससे कयास लगाए जा रहे हैं कि कहीं वे नादौन से अपने पुराने पैतृक क्षेत्र देहरा में शिफ्ट कर सकते हैं। हालांकि यह भविष्यि के गर्भ में है, मगर प्रदेश के सबसे बड़े कांगड़ा जिले को साधने के लिए यह बड़ा सियासी दांव हो सकता है। ऐसे में देहरा की जनता को एक वीआईपी क्षेत्र की जनता बनने का अवसर भी इस उपचुनाव में मिला है। अब 13 जुलाई के नतीजे ही तय करेंगे कि ऊंट किस करवट बैठता है।
कमलेश जीतीं तो 15 अगस्त को सौगातें मिलना तय
चुनाव प्रचार के दौरान मुख्यमंत्री ने जिस प्रकार से देहरा के उन क्षेत्रों में भी जनसभाएं की हैं जहां पहले कभी सीएम के पैर तक नहीं पड़े थे। उन्होंने देहरा की जनता के करीब जाकर उनकी समस्याओं का समाधान करने के अलावा कई प्रकार के तोहफे देने के भी संकेत दिए हैं। उनकी पिटारी से देहरा की जनता के लिए जो सौगातें निकलने वाली हैं, यह उपचुनाव के नतीजों पर निर्भर है। अगर जीत कांग्रेस की हुई तो 15 अगस्त को देहरा में घोषित राज्य स्तरीय स्वतंत्रता दिवस समारोह में देहरा की तकदीर बदलने वाले शब्द सुनने को मिल सकते हैं।
अपनों की नाराजगी पड़ेगी भाजपा प्रत्याशी पर भारी
भाजपा भी होशियार सिंह के पिछले प्रदर्शन के दम पर जीत के सपने संजोए हुए हैं, मगर अपने ही कार्यकर्ताओं के साथ-साथ पूर्व मंत्री एवं प्रत्याशी रहे रमेश धवाला की नाराजगी उससे संभलते नहीं बन रही है। पार्टी के कई दिग्गज नेता चुनाव प्रचार के दौरान देहरा में डेरा जमाए रहे और होशियार सिंह की हैट्रिक की बदौलत अपना कुनबा बढ़ने की उम्मीद लगाए हैं। फिलहाल लोकतंत्र में मतदाता ही भाग्यविधाता होते हैं, ऐसे में पूर्व के चुनावों में एक के बाद एक बूथ से लीड लेकर विरोधियों को चित्त करने वाले होशियार सिंह को इस बार अपने गढ़ में ही भारी चुनौती मिलना तय माना जा रहा है।

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