शिमला, 12 मई। राज्य सरकार हिमाचल प्रदेश में कोविड परीक्षणों को बढ़ाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है और इसके लिए निजी क्षेत्र के अस्पतालों तथा प्रयोगशालाओं को आरटी-पीसीआर परीक्षण की अनुमति प्रदान की है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के मिशन निदेशक डॉ. निपुण जिंदल ने आज यहां बताया कि वर्तमान में राज्य में सरकारी क्षेत्र में 8 आरटी-पीसीआर प्रयोगशालाएं, 25 ट्रनेट प्रयोगशालाएं और दो सीबी नेट प्रयोगशालाएं कार्य कर रही हैं, जबकि महामारी के प्रारंभ में नमूनों को एनआईवी पूणे स्थित लैब में जांच के लिए भेजा जा रहा था। उन्होंने बताया कि राज्य ने निजी क्षेत्र में रैपिड एंटीजन टेस्ट तथा ट्रूनेट के माध्यम से कोविड-19 परीक्षण के लिए शुल्क दरें भी निर्धारित की है।
उन्होंने बताया कि सरकारी क्षेत्र में भी कोरोना टेस्ट करने की क्षमता को बढ़ाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय और कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर से आरटी-पीसीआर टेस्ट शुरू करने का मामला उठाया है तथा राज्य में मौजूदा प्रयोगशालाओं में नई मशीनें लगाकर कोरोना टेस्ट क्षमता को बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि राज्य सरकार द्वारा निजी अस्पतालों व निजी प्रयोगशालाओं को भी अब आरटी-पीसीआर परीक्षण करने की अनुमति दे दी गई है और इसके लिए परीक्षण शुल्क दरें भी निर्धारित की गई हैं। निजी अस्पतालों और प्रयोगशालाओं को जीएसटी, परिवहन, पैकिंग, पीपीई किट सहित अन्य प्रकार के खर्चों को मिलाकर प्रति सैंपल 500 रुपये तथा घर से सैंपल एकत्रित करने के लिए 750 रुपये निर्धारित किए हैं। निजी अस्पताल और प्रयोगशालाएं इन दरों से अधिक राशि नहीं ले सकेंगे।
अस्पतालों में कार्य करने वाले स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों को कोरोना मरीजों के प्रबंधन के दौरान व्यक्तिगत सुरक्षा में उल्लंघन होने पर इस बीमारी से संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाता है। भारत सरकार द्वारा 18 जून, 2020 को जारी इन दिशा-निर्देशों को अब वापस ले लिया गया है, जिनमें अधिसूचित किया गया था कि कम जोखिम वाले स्वास्थ्य देखभाल कार्यकर्ताओं को क्वारंटीन होने की आवश्यकता नहीं है जबकि उच्च जोखिम वाले कार्यकर्ताओं को एक सप्ताह के लिए क्वारंटीन होने के बाद उनका परीक्षण किया जाता था।
स्वास्थ्य विभाग के एक प्रवक्ता ने आज यहां बताया कि इन दिशा-निर्देशों में बदलाव किया गया है। अब स्वास्थ्य देखभाल कार्यकर्ताओं को क्वारंटीन होने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य देखभाल कार्यकर्ताओं के लिए जनवरी, 2021 से टीकाकरण शुरू किया गया था और अब तक अधिकतर कर्मचारियों का टीकाकरण किया जा चुका है।