- अध्यक्ष के अलावा डूटा एग्जीक्यूटिव के लिए अपना उम्मीदवार खड़ा करेगी
- सामाजिक न्याय की विचारधारा वाले शिक्षक संगठनों से डीटीए कर सकता हैं गठबंधन
नई दिल्ली, 27 जून। दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) के चुनाव में अभी दो महीने बाकी है लेकिन शिक्षक संगठनों में सुगबुगाहट शुरू हो गई है। यह हर दो साल बाद होते हैं। इस वर्ष 2021-23 के चुनाव अगस्त के अंतिम सप्ताह में होने की संभावना है। माना यह भी जा रहा है कि कोविड-19 के चलते तिथि को आगे बढ़ाया जा सकता है। डूटा चुनावों के मद्देनजर हर राजनैतिक पार्टियों के शिक्षक संगठनों ने अपने-अपने उम्मीदवारों को तय करने के लिए बैठकों का दौर शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में आम आदमी पार्टी के शिक्षक संगठन दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन (डीटीए) ने आगामी डूटा चुनाव को लेकर शनिवार को संगठन की ऑन लाइन मीटिंग की। मीटिंग की अध्यक्षता डीटीए की अध्यक्ष डॉ. आशा रानी ने की। इस अवसर पर डीटीए के प्रभारी डॉ. हंसराज सुमन, सचिव डॉ. मनोज कुमार सिंह, डॉ. संगीता मित्तल, डॉ. सुनील कुमार, डॉ. चारु मित्तल कोषाध्यक्ष डॉ. अनिल कुमार सिंह के अलावा कार्यकारिणी सदस्य भी उपस्थित रहे।
दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन के प्रभारी व पूर्व एकेडेमिक काउंसिल मेम्बर डॉ. हंसराज सुमन ने बैठक में यह प्रस्ताव रखा कि इस बार दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) चुनाव में अध्यक्ष पद के साथ-साथ डूटा एग्जीक्यूटिव में भी अपना उम्मीदवार खड़ा करना चाहिए, ताकि शिक्षकों के बीच यह संदेश दिया जा सके कि राष्ट्रीय पार्टियों के शिक्षकों से हटकर तीसरे मोर्चे के रूप में उम्मीदवार खड़ा किया जा रहा है। उनका कहना था कि वे सामाजिक न्याय की विचारधारा वाले शिक्षक संगठनों के साथ मिलकर अध्यक्ष पद पर गठबंधन कर सकते हैं, हमें अध्यक्ष पद पर संयुक्त उम्मीदवार खड़ा करना चाहिए इससे संगठन को मजबूती मिलेगी और ज्यादा से ज्यादा शिक्षक जुड़ेंगे।
प्रभारी डॉ. हंसराज सुमन का कहना था कि इस बार का डूटा का चुनाव बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि पिछले एक दशक से विभागों व कॉलेजों में स्थायी नियुक्तियां का न होना व शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी 5 दिसंबर 2019 के सर्कुलर को लागू नहीं करना है, जिसके कारण कुछ कॉलेजों में एडहॉक टीचर्स को ईडब्ल्यूएस आरक्षण व वर्कलोड के नाम पर हटाने के प्रयास किए जाते रहे हैं। इसके अतिरिक्त डीयू द्वारा जारी 28 अगस्त 2019 का पत्र जो तदर्थ पदों को गेस्ट टीचर्स में तब्दील करने से शिक्षकों में गहरा रोष व्याप्त है। उन्होंने यह भी बताया कि आठ महीने पूर्व डीयू विभागों में स्थायी नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू हो गई थीं, लेकिन कॉलेजों में अभी तक नहीं हुई है। उनका कहना है कि कुछ कॉलेजों ने स्थायी नियुक्ति करने के लिए स्क्रीनिंग तक नहीं की है। इसके अलावा बहुत से कॉलेजों ने अपना रोस्टर पास कराकर पदों का विज्ञापन नहीं दिया है। साथ ही उनका यह भी कहना था कि पिछले कई साल से प्रिंसिपल पदों व लाइब्रेरियन के पदों पर स्थायी नियुक्तियां ना होने से गहरा रोष व्याप्त है। उन्होंने कॉलेजों में शिक्षकों की प्रमोशन पर खुशी जाहिर की है और कहा कि प्रमोशन के लिए एक दशक से ज्यादा से शिक्षक इंतजार कर रहे थे। उन्होंने शिक्षकों की प्रमोशन पर कार्यवाहक कुलपति व डीन ऑफ कॉलेजिज को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि परमानेंट अपॉइंटमेंट्स/समायोजन की प्रक्रिया जल्द शुरू हो इसके लिए डीटीए के एजेंडे में उनकी प्रमुख मांग है।
डूटा चुनाव के लिए बुलाई गई इस मीटिंग में डीटीए के सचिव डॉ. मनोज कुमार सिंह का कहना था कि टीचर्स एसोसिएशन से ज्यादा से ज्यादा शिक्षकों को जोड़ने के लिए कॉलेज स्तर पर इसकी यूनिट बनाई जाए। इसके अतिरिक्त जुलाई माह में नार्थ कैम्पस व साउथ कैम्पस के विभागों को जोड़ने के लिए संगठन का विस्तार किया जाए। उनका कहना था कि हमें ईस्ट कैंपस व वेस्ट कैंपस बनवाने की मांग को अपने एजेंडे में रखना चाहिए और इन क्षेत्रों में डीटीए का कार्यालय खोला जाए, ताकि शिक्षकों को संगठन से जोड़ा जा सके।
मीटिंग की अध्यक्षता कर रही डॉ. आशा रानी ने बताया कि डूटा के चुनाव को लेकर बुलाई गई आज की ऑन लाइन मीटिंग में कुछ वरिष्ठ शिक्षकों के नामों पर गंभीरता से विचार किया गया। इन नामों में सबसे ज्यादा चर्चा देशबंधु कॉलेज, शहीद भगतसिंह कॉलेज, भारती कॉलेज, श्यामलाल कॉलेज, शिवाजी कॉलेज, श्री अरबिंदो कॉलेज में पढ़ा रहे शिक्षकों के नाम सामने आए हैं। उन्होंने बताया कि एक-दो नामों पर अंत में विचार किया जाएगा। इसके लिए डीटीए की एक मीटिंग और बुलाई जाएगी उसी में अध्यक्ष, एग्जीक्यूटिव पदों पर लड़ने वाले शिक्षकों का नाम घोषित किए जाएंगे।
पहली बार दमखम के साथ उतरेगी डीटीए
डॉ. सुमन ने बताया कि डीटीए पहली बार डूटा में अपना उम्मीदवार खड़ा कर रही है। उन्होंने अभी तक जिन उम्मीदवारों को विद्वत परिषद में खड़ा किया है उन्हें भारी मतों से जीताया है, हमारी कोशिश रहेगी कि इस बार केंद्र सरकार की नकारात्मक कार्यप्रणाली के कारण दिल्ली विश्वविद्यालय में शैक्षिक व गैर शैक्षिक कर्मचारियों के कोई भी काम नहीं हुए हैं, जिसका लाभ हमें मिल सकता है। कोविड के दौरान मृत शिक्षकों के लिए केंद्र सरकार की ओर से किसी तरह की घोषणा नहीं करना, नई शिक्षा नीति से एडहॉक टीचर्स की नियुक्तियों पर प्रभाव पड़ना, यूजीसी द्वारा 60 और 40 का फार्मूला लागू कर ऑनलाइन एजुकेशन को बढ़ावा देना, डीटीए टीचर्स के बीच रहकर उनके मुद्दों को सदैव उठाता रहा है। कुछ सदस्यों ने चुनाव में जाने के लिए अपना घोषणा पत्र तैयार करने की बात रखी जिसे डॉ. मनोज ने स्वीकार कर लिया और कहा कि आगामी मीटिंग में घोषणा पत्र के बिंदुओं पर चर्चा ही नहीं बल्कि तैयार किया जाएगा। डीटीए शिक्षकों के मुद्दों को प्रमुखता देगी। उन्होंने बताया है कि डीटीए अपने उम्मीदवार तय करने के पश्चात पार्टी के पास उन नामों को भेजेगा। पार्टी उन उम्मीदवारों पर मोहर लगाकर उनके नामों की घोषणा मीडिया में करेगी। साथ ही डूटा चुनाव में किसके साथ गठबंधन किया जाएगा और चुनावी रणनीति बनाने में संगठन की मदद करेगी।
डीटीए की अध्यक्ष डॉ. आशा रानी ने दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन से शिक्षकों को जोड़ने के लिए के नए सदस्यों के बंनाने का प्रस्ताव रखा। उनका कहना था कि दिल्ली सरकार से प्रातः कॉलेजों में भी सांध्य कॉलेज खोलने की मांग की जाएगी । साथ ही लंबे समय से दिल्ली सरकार के कॉलेजों में खाली पड़े प्रिंसिपलों के पदों को भरने के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन और सरकार पर दबाव बनाया जाएगा। अंत में डॉ. अनिल सिंह ने आए हुए सभी सदस्यों का धन्यवाद किया। मीटिंग में डॉ संगीता मित्तल, डॉ. सुनील कुमार, डॉ चारु मित्तल आदि ने भी डीटीए को मजबूत करने के लिए संकल्प लिया।
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