नहीं रहे वरिष्ठ पत्रकार अरुण खरे

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अरुण खरे

मुकुंद मित्र-

अपने बेहद अभिन्न और बड़े भाई अरुण खरे का आज कानपुर ले जाते समय रास्ते में निधन हो गया। उनका अंतिम संस्कार कल सुबह बांदा में होगा। हे परमात्मा उन्हें अपने श्री चरणों में स्थान जरूर देना।

राजू मिश्र-
बांदा जिले के छोटे से नरैनी कस्बे से निकलकर जिला मुख्यालय और फिर राष्ट्रीय राजधानी में कलम का लोहा मनवाने वाले अरुण खरे ने संक्षिप्त बीमारी के बाद आज दुनिया को अलविदा कह दिया।
गोरे थे सो देखने मे बिल्कुल अंग्रेज लगते थे। बाजदफे लोग धोखा भी खा जाते थे। पाठा के जंगलों में सूखे की रिपोर्टिंग करते हुए ऐसे कई वाक्ये हुए। मुफलिसी से लेकर शाहखर्ची तक का लंबा साथ रहा। ट्रेन में बिना टिकट भी चले और टिकट लेकर एसी फर्स्ट क्लास में भी।
बीते दिन आंखों के सामने सपने के मानिंद तैर रहे हैं। कमासिन में हम दोनों ने एक औरत के सती होने का खौफनाक दृश्य देखा। सिगरेट बहुत पीते थे, पीते ही नहीं बल्कि चेनस्मोकर थे। दैनिक कर्मयुग प्रकाश के दिनों में वह पहला पेज देखते थे और हम शहर/ग्रामीण।
कभी कहते कि आकाशवाणी वाले धीमी गति के समाचार पत्रकारों को काहिल बनाने के लिए चलाते हैं, हम कहते कि नहीं, यह तो पत्रकारों के प्रति उनकी सदाशयता है।
तमाम झंझावातों के बावजूद हमारी बरात में वह गए, उनकी बरात में हम। बहुत ही नेक, शरीफ और सह्रदय व्यक्ति थे। मिलनसारिता के तो कहने ही क्या!
रिक्शेवाले या भिखारी को मनमाना पैसा दे देना उनकी फितरत थी, भले ही अपनी खातिर कुछ न बचे।
परमात्मा इस असीम वेदना को सहन करने की भाभी जी और बच्चों को अपार शक्ति दें। अरुण जी आप बहुत याद आएंगे। अंतिम प्रणाम।

[साभारः सोशल मीडिया]

#Arun_Khare

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