वाणी और बुद्धि के देवता भगवान गणेश का इस वर्ष ये महापर्व विशेष बनने जा रहा है। ज्योतिषीय
दृष्टि से देखा जाए तो ऐसा दुर्लभ संयोग करीब दस साल बाद बनने जा रहा है।
गणेश पुराण के अनुसार 31 अगस्त को ज्योतिषीय गणना के अनुसार भगवान गणेश के जन्म के
समय ग्रहों का जो योग बना था वैसा ही योग 31 अगस्त को भाद्रपद के शुक्ल पक्ष को चतुर्थी का दिन है और सौभाग्य की बात है उस दिन बुधवार था और इस समय भी यह योग चतुर्थी बुधवार को पड रहा है।
31 अगस्त मो उदिया कालीन चतुर्थी तिथि और मध्याह्न व्यापिनी चतुर्थी होने से विनायक चतुर्थी का व्रत व पूजन सर्वमान्य होेगा।
इस साल गणेश चतुर्थी का महापर्व बहुत खास रहने वाला है। गणेश चतुर्थी पर करीब दस साल बाद एक विशेष संयोग बनने जा रहा है इस संयोग में जो लोग भगवान गणेशजी की विधिवत पूजा-अर्चना करेंगे, उनकी सभी मनोकामानाएं जल्द पूरी होंगी। साथ ही भगवान गणेशजी की विशेष कृपा भी उन पर होगी।
इस शुभ संयोग में गणपति की पूजा करना भक्तों के लिए बेहद कल्याणकारी होगा। गणेशजी की पूजा-पाठ करने से जो भी विघ्न-बाधाएं आ रही हैं, वो दूर होंगी और निश्चित तौर से लाभ होगा। गणेश चतुर्थी पर रवि योग भी रहेगा, जैसा कि 10 वर्ष पहले भी था।
श्री गणेश भगवान जी की पूजा शुभ मुहूर्त…
बुधवार, 31 अगस्त
इस दिन सुबह 06.05 बजे से संपूर्ण दिन रवि योग नामक शुभ योग रहेगा, जो एक शुभ योग है।
लाभ व अमृत के श्रेष्ठ चौघडि़या क्रमशः सुबह 06.01 बजे से सुबह 09.07 बजे तक रहेंगे।
उसके बाद शुभ का चौघडि़या 10.46 से 12.05 बजे तक रहेगा।
तदोपरांत चल व लाभ के श्रेष्ठ चौघडि़या 03.35 से लेकर 06.40 तक रहेंगे।
अतः आप इन श्रेष्ठ चौघडि़या के दौरान कभी भी श्रीगणेश जी की पूजा-उपासना कर सकते हैं।
पूजा में इन चीजों को करें शामिल
श्री गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेशजी को कुछ खास चीजें अर्पित करने से विशेष लाभ मिलता है। ऐसा कहते हैं कि इस दिन अक्षत द्रुवा, नारियल, सिंदूर, मोदक, सुपारी, गेंदे व गुड़हल के लाल फूल, केला आदि चढ़ाने से गणपति प्रसन्न होते हैं, घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है और जीवन में चल रही मुश्किलें खत्म होती हैं।
चंद्र दर्शन निषेध…
शास्त्र मतानुसार गणेश चतुर्थी का चंद्रमा श्रापित है अतः इस दिन चंद्र दर्शन नहीं करना चाहिए।
-स्वामी श्रेयानन्द महाराज