केंद्रीय विश्वविद्यालयों में 35 से 40 फीसदी शिक्षकों के पद खाली
नई दिल्ली, 4 सितंबर। आम आदमी पार्टी के शिक्षक संगठन दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन (डीटीए) के अध्यक्ष डॉ. हंसराज सुमन ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के उस वक्तव्य का स्वागत किया है जिसमें उन्होंने केंद्रीय विश्वविद्यालयों में फैकल्टी के 6000 से अधिक पदों पर भर्ती करने के निर्देश दिए हैं और अगले सप्ताह तक नोटिफिकेशन जारी करने को कहा है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने शुक्रवार को 45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के साथ ऑनलाइन बैठक की, इस बैठक में शिक्षा राज्य मंत्री सुभाष सरकार, उच्च शिक्षा सचिव अमित खरे, यूजीसी के चेयरमैन प्रो. डी.पी. सिंह सहित वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।
डॉ. सुमन ने बताया कि शिक्षा मंत्री ने केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा व आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के 6259 रिक्त पदों को अभियान चलाकर अक्टूबर तक किसी भी हाल में भरने के लिए अगले सप्ताह नोटिफिकेशन जारी करने को कहा है। डॉ. सुमन ने बताया है कि शिक्षा मंत्री ने कहा है कि रिक्त पदों को भरने के लिए संस्थान अक्टूबर 2021 तक मिशन मोड़ में काम करेंगे। उन्होंने विश्वविद्यालयों की रिक्तियों को भरा जाना महत्वपूर्ण विषय बताया है। डॉ. सुमन ने बताया कि इससे पहले शिक्षा मंत्रालय के सचिव अमित खरे ने एससी/एसटीध्ओबीसी शिक्षकों के बैकलॉग पदों को भरने के लिए 24 अगस्त को एक सर्कुलर जारी करते हुए सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों/उच्च शिक्षण संस्थानों को यह निर्देश दिए हैं कि इन बैकलॉग पदों को किलियर करने के लिए 5 सितंबर 2021 से 4 सितंबर 2022 तक मिशन मोड़ में एक साल की अवधि के भीतर भर दिया जाना चाहिए।
शिक्षा मंत्री ने रिक्त पदों का ब्यौरा देते हुए कहा कि उच्च शिक्षण संस्थानों में 6259 पद खाली है इनमें अनुसूचित जाति की 1012 वैकेंसी है, जबकि अनुसूचित जनजाति की 592, ओबीसी की 1767, ईडब्ल्यूएस की 805, दिव्यांगों की 350 वैकेंसी हैं। उनका कहना है कि ये वैकेंसी केंद्रीय विश्वविद्यालयों के विभागों की है जबकि उससे संबद्ध कॉलेजों में हजारों पद शिक्षकों के रिक्त पड़े हुए है जिसे भरा नहीं गया। डॉ. सुमन ने बताया कि शिक्षा मंत्रालय के सर्कुलर से पहले यूजीसी विश्वविद्यालयों/कॉलेजों को स्थायी नियुक्ति संबंधी कई बार सर्कुलर जारी कर चुका है। दिल्ली विश्वविद्यालय ने यूजीसी के निर्देशों का पालन करते हुए अपने विभागों और कॉलेजों ने लगभग 5000 पदों को भरने के लिए विज्ञापन निकाले थे, लेकिन लगभग 150 पदों पर नियुक्ति करने के बाद यह प्रक्रिया बंद कर दी गई। डॉ. सुमन ने बताया कि कि दिल्ली विश्वविद्यालय के विभागों में 866 वैकेंसी है जिसे लंबे समय से नहीं भरा गया।
डॉ. सुमन ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री को बताया कि डॉ. देश के 40 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में 35 से 40 फीसदी शिक्षकों के पद विभिन्न विभागों में खाली पड़े हैं जिन्हें लंबे समय से नहीं भरा गया। उन्होंने बताया है कि इन विश्वविद्यालयों में स्वीकृत पद, सामान्य-10,256, एससी-2247, एसटी-1152,ओबीसी-3280, ईडब्ल्यूएस-896, पीडब्ल्यूडी-508 पद हैं। कुल 18,339 पद बनते हैं। भरे गए पद, सामान्य -8694, एससी-1205, एसटी-531, ओबीसी-1374, ईडब्ल्यूएस-34, पीडब्ल्यूडी-180 पदों पर नियुक्ति हुई है। इस तरह से 12,018 पद भरे गए हैं। इन विश्वविद्यालयों में खाली पड़े पद, सामान्य-1562, एससी-1042, एसटी-621, ओबीसी-1906, ईडब्ल्यूएस-862, पीडब्ल्यूडी-328 पद खाली पड़े हुए हैं। इस तरह से इन विश्वविद्यालयों में 1 अप्रैल 2020 तक-6321 पद विभिन्न श्रेणियों के खाली पड़े हुए हैं।
डॉ. सुमन ने बताया उनके पास 1 अप्रैल 2020 के अनुसार जो आंकड़े उपलब्ध है इन विश्वविद्यालयों के विभागों में है सबसे ज्यादा शिक्षकों के खाली पद है। दिल्ली विश्वविद्यालय-866, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय-682, इलाहाबाद विश्वविद्यालय-576, जेएनयू-335, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी-318, हरिसिंह गौड यूनिवर्सिटी-219, पांडिचेरी यूनिवर्सिटी-180, जामिया मिल्लिया इस्लामिया-158, नार्थ ईस्ट हिल यूनिवर्सिटी-157, हैदराबाद यूनिवर्सिटी-130, तेजपुर यूनिवर्सिटी-75, बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी -43 पद खाली है। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालयों में सबसे ज्यादा शिक्षकों के पद-1519 खाली हैं। उन्होंने बताया कि 40 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रोफेसर एससी-52, एसटी-8, ओबीसी-9, ईडब्ल्यूएस-2, पीडब्ल्यूडी-10 प्रोफेसर है। उन्होंने बताया है कि सरकार की नीति तथा यूजीसी के निर्देशों से लगता है कि बार-बार आशा की किरण दिखलाई जाती है किंतु उसका कोई सुखद परिणाम देखने को नहीं मिल रहा है। डॉ. सुमन का कहना है कि शुक्रवार को 45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के साथ ऑन लाइन बैठक करने के बाद शिक्षा मंत्री के वक्तव्य को सकारात्मक परिणाम के रूप में देखा जा रहा है और भविष्य में इसके बेहतर परिणाम आएंगे। उन्होंने जल्द से जल्द आरक्षित वर्गों का बैकलॉग क्लियर करने की मांग करते हुए स्थायी शिक्षकों के पदों को भरने की मांग की है।