- अखिल भारतीय प्रवासी हिमाचली सयुंक्त मोर्चा ने चलाया हस्ताक्षर अभियान
- बैठक में लिया संकल्प
नई दिल्ली, 20 अगस्त। जिस पवित्र जन्मभूमि में जन्म लिया, जहां खेले, पढ़े, बड़े हुए और फिर रोजी-रोटी के लिए बाहरी राज्यों में क्या गए कि सरकार ने उनके अधिकार ही छीन लिए। रोजगार के लिए बाहरी राज्यों में जाने से क्या पता था कि एक दिन वे अपनी ही जन्मभूमि से बेगाने कहलाएंगे, बाहरी कहलाएंगे। ऐसा इसलिए है कि हिमाचल प्रदेश में 2018 से बाहरी राज्यों में रोजी-रोटी कमा रहे अपने ही नागरिकों के बच्चों को उच्च शिक्षा और मेडिकल शिक्षा में 85 फीसदी कोटे से वंचित कर दिया है। यह कहना है अखिल भारतीय प्रवासी हिमाचली सयुंक्त मोर्चा के चेयरमैन राजेश ठाकुर का।
ठाकुर बुधवार को यहां अखिल भारतीय प्रवासी हिमाचली सयुंक्त मोर्चा की एक महत्वपूर्ण बैठक में उपस्थित सभी सहयोगी संस्थाओं के प्रतिनिधियों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रवासी हिमाचलियों के जिन बच्चों ने बारहवीं कक्षा तक की पढ़ाई अन्य राज्यों से की है तो उनको हिमाचल प्रदेश में उच्च शिक्षा और मेडिकल शिक्षा में 85 फीसदी कोटे का लाभ नहीं मिलेगा। अर्थात् प्रवासी हिमाचल वासियों के बच्चों के लिए उच्च शिक्षा और मेडिकल में प्रवेश के लिए अपनी ही जन्मभूमि में राज्य का 85 फीसदी कोटा प्रतिबंध है।
राजेश ठाकुर ने कहा कि हैरान करने वाली बात तो यह है कि देश की राजधानी दिल्ली एनसीआर, मुंबई महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, उतर प्रदेश, हरियाणा, गोवा, चंडीगढ़, पंजाब सहित देश के अन्य राज्यों में रोजी-रोटी के लिए रह रहे लोग आज भी हिमाचल प्रदेश से जमीनी रूप से जुड़े हुए हैं। उनके खेत-खलियान, गांव-घर, कुनबा-टबर आदि सबकुछ हिमाचल प्रदेश में ही है, ऐसे में वो बाहरी कैसे हुए यह बात समझ से परे है।
अखिल भारतीय प्रवासी हिमाचली सयुंक्त मोर्चा के वरिष्ठ सदस्य हिमाचल मंडी जनकल्याण सभा के अध्यक्ष प्रतिनिधि के.आर. वर्मा ने कहा कि आज प्रवासी हिमाचल वासी अपनी ही जन्मभूमि से बाहरी घोषित कर दिए गए है। वरिष्ठ सदस्य के.आर. वर्मा ने कहा कि जो लोग अपने रोटी-रोजगार की तलाश्स में बाहरी राज्यों में गए, वे हिमाचली बाहरी कैसे हो गए। रोटी-रोजगार के लिए बाहरी राज्यों में जाने से कोई भी बाहरी कैसे हो सकता है। लेकिन प्रवासी हिमाचल वासियों के साथ ऐसा हुआ है। उनके साथ ऐसा क्यों किया गया, क्या कारण रहे ये बहुत से प्रश्न लगातार उठ रहे हैं। किंतु ऐसा भेदभावपूर्ण निर्णय लेने वाली हिमाचल सरकार के इस रवैये से सभी हिमाचल वासी बहुत आहत हुए हैं। उन्होंने कहा कि हिमाचल सरकार को चाहिए कि वह तुरंत इस फैसले को वापस ले।
अखिल भारतीय प्रवासी हिमाचली सयुंक्त मोर्चा की बैठक में सभी प्रतिनिधियों ने एक स्वर में एकजुट होकर इस मामले में तेजी से आगे की रणनीति पर कार्य करने की बात कही। सभी प्रतिनिधियों ने कहा कि प्रवासी हिमाचल वासियों को उनके अधिकार पर हिमाचल प्रदेश में जो प्रतिबंध लगा है, हिमाचल सरकार उसे तुरंत हटाए, क्योंकि यह हमारे अधिकारों का हनन है और हमारे साथ बहुत बड़ा भेदभाव किया गया है।
बैठक में उपस्थित अखिल भारतीय प्रवासी हिमाचली सयुंक्त मोर्चा के प्रतिनिधियों में कर्नल प्रेम चौधरी, किशोरी लाल शर्मा, अशोक शर्मा, मोहिंद्र डोगरा, शशि कंवर, एम.सी. राणा, बालक राम चौधरी, सुभाष कटवाल, मनोहर ठाकुर, राकेश ठाकुर, वरिष्ठ लेखक, हिमाचली पत्रकार एस.एस.डोगरा, विजय डोगरा, जोगिंद्र कुमार, राकेश चंद्र, पवन शर्मा, रमेश कौंडल, योगराज अवस्थी, विजय डोगरा रोहिणी वाले, मोहन लाल, प्रकाश ठाकुर, अमर सिंह ठाकुर, ललित वर्मा भी मौजूद थे।
जय ज्वाला डोगरा मंदिर परिसर कर्मपुरा में बैठक की सारी व्यवस्था मंदिर कमेटी और कमेटी के प्रधान किशोरी लाल शर्मा ने की। राजेश ठाकुर ने इसके लिए मंदिर कमेटी के सदस्यों और किशोरी लाल शर्मा का आभार व्यक्त किया।
प्रवासी हिमाचली बच्चों के अधिकारों की रक्षा को मोर्च का गठन, राजेश ठाकुर चेयरमैन