धर्म से कहीं अधिक भविष्य का सवाल बड़ा

454
  • शिक्षा, रोजगार और बुनियादी सवालों पर बात नहीं
  • नेता संगठित गिरोह बना कर संसाधनों की लूट-खसोट में जुटे

कल हल्द्वानी के हैड़ाखाल में बरात की एक बस टूटी सड़क के कारण आगे नहीं बढ़ी। दूल्हा राहुल विरोध में धरने पर बैठ गया। यह सड़क 15 नवम्बर से टूटी है। किसी को परवाह नहीं है कि सड़क से 200 गांव जुड़े हैं। सीएम धामी हेलीकॉप्टर से नीचे कदम नहीं रख रहे, मानो उन्होंने उत्तराखंड को सबसे विकसित प्रदेश बना दिया हो और उधर, जनता के लिए चलने के लिए सड़क और पैदल रास्ते भी नहीं हैं। गर्भवती सड़क, जंगल या बस में प्रसव कर रही है। बेरोजगार नशे की गिरफ्त में हैं। बुजुर्गों को इलाज नहीं मिल रहा। सरकारी स्कूल धड़ाघड़ बंद हो रहे हैं और गांव खाली हो रहे हैं। वन्य जीव मनुष्यों की जान ले रहे हैं। सड़कों पर हादसों में हर साल एक हजार लोग मर रहे हैं और सत्ता चिल्ला रही है धर्म खतरे में है। धर्मांतरण कानून बना रही है। क्या धर्मांतरण कानून से सब समस्याओं से मुक्ति मिल जाएगी। सरकार के रवैए से यही लग रहा है।
सीएम धामी को धर्मांतरण की बड़ी चिन्ता है। मेरी समझ में नहीं आता है कि उत्तराखंड में साक्षरता दर 78 प्रतिशत है तो भला कोई कैसे जबरन धर्मांतरण करेगा? धामी सरकार का आधा वक्त दिल्ली दरबार में मत्था टेकने में बीत जाता है और आधा वक्त संत-महात्माओं और मंदिरों में। सदन में भी चर्चा के लिए समय नहीं है; जनता जिन्होंने जनप्रतिनिधियों को सिर-माथे पर बिठाया, वह सदन में जनहित के मुद्दों से अधिक मोबाइल पर व्यस्त रहे। जानते हैं कि जनता डरपोक है। उनका मुंह काला नहीं कर सकती है, कानून से डरती है क्योंकि पढ़ी-लिखी है। यदि हरियाणा या बिहार की बात होती तो अब तक आधे विधायकों और मंत्रियों का मुंह काला हो चुका होता।
मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल जो खुद भ्रष्टाचार के आरोपों के घेरे में है, अंकिता मर्डर केस में वीआईपी को लेकर स्पष्टीकरण दे रहे हैं? क्या गृह मंत्रालय उनके पास है? नैतिकता कहां है? मुझे आश्चर्य होता है कि धामी को धाकड़ धामी कहा जा रहा है जबकि सबसे कमजोर सीएम तो वही है कि विधायक आदेश चौहान के सदन में एक एसएसपी के खिलाफ जांच नहीं बिठा पा रहे। सदन की गरिमा का भी ख्याल नहीं है। हद है, यह कैसी सरकार है जहां जनहित के मुद्दे गौण हैं और धर्म और ठेकों की बात सर्वोपरि।
यूकेएसएससी और विधानसभा में बैकडोर का मामला ठंडा कर दिया गया है। प्रदेश में अपराध बढ़ रहे हैं और कई नेता संगठित गिरोह बनाकर हमारे जल, जंगल और जमीन बेचने के सौदे दिल्ली मे कर रहे हैं। टाइपिस्ट भी दून से ले जा रहे हैं और सूटकेस मिलने और रात को अययाशी करने के बाद उत्तराखंड आकर जय श्रीराम बोल रहे हैं। नेता, अफसर, ठेकेदार और दलाल की चौकड़ी पहाड़ को बर्बाद कर रही है और हम धर्म-धर्म चिल्ला रहे हैं। जबकि सच यही है कि देहरादून के कुठाल गेट से लेकर मथुरावाला, हल्द्वानी से लेकर सितारगंज तक बाहरी लोगों को बसाने में यहीं के नेताओं का हाथ है।
जागो पहाड़ियो, वर्ना बर्बाद होने में अधिक वक्त नहीं लगेगा। अपने ही प्रदेश में तुम बेगाने और दोयम दर्जे के नागरिक बन जाओगे।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

भाजपा नेता क्या लेने गये थे दिल्ली!

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here