डॉ. वेदप्रताप वैदिक
पाकिस्तान के शहर पेशावर में हुए विस्फोट ने पूरे देश और सरकार को हिलाकर रख दिया है। शाहबाज़ सरकार आर्थिक संकट से पहले ही जूझ रही है, अब इस विस्फोट ने जले पर नमक छिड़क दिया है। इस विस्फोट में हताहतों की संख्या बढ़ती जा रही है। लगभग 100 लोग तो मर चुके हैं और डेढ़ सौ लोग बुरी तरह से घायल हो गए हैं। यह विस्फोट भी कहां हुआ है? पेशावर की एक मस्जिद में। और वह किस वक्त हुआ है? दोपहर की नमाज के वक्त! दूसरे शब्दों में तहरीके-तालिबान के आतंकवादियों ने इस्लाम का भी अपमान कर दिया है। वे लोग अपने को कट्टर इस्लामी कहते हैं और उन्होंने मस्जिद में ही विस्फोट करवा दिया। इस्लामी राष्ट्र होने का दावा करनेवाला पाकिस्तान इस घटना से कोई सबक सीखेगा या नहीं? उसने आतंकवाद को इसलिए बढ़ावा दिया कि वह भारत से कश्मीर छीन सकेगा। उसने भारत से लड़े युद्धों में विफल होने के बाद आतंकवाद को ही अपना हथियार बनाया लेकिन अब मियां की यह जूती मियां के सिर ही पड़ रही है। दहशतगर्दी के चलते जितने लोग भारत में मरते रहे हैं, उनसे कहीं ज्यादा पाकिस्तान में मर रहे हैं। पिछले साल एक शिया मस्जिद पर हुए हमले में दर्जनों लोग मारे गए थे। इसी पेशावर में 2016 में हुए हमले के कारण लगभग डेढ़ सौ मासूम बच्चे कुर्बान कर दिए गए थे। वे बच्चे एक फौजी स्कूल में पढ़ रहे थे। इस मस्जिद में अभी मृतकों में ज्यादातर पुलिस के अफसर और जवान ही हैं। इस हमले की जिम्मेदारी ‘तहरीके-तालिबान पाकिस्तान’ के कमांडर ने ली है। उसने कहा है कि यह हमला उस हत्या का बदला हे, जो पिछले साल अगस्त में टीटीपी के कमांडर उमर खालिद खुरासानी की काबुल में की गई थी। ‘तहरीक’ यों तो पाकिस्तानियों का संगठन है लेकिन यह अफगानिस्तान के तालिबान के साथ गहरे में जुड़ा हुआ है। अफगानिस्तान की तालिबानी सरकार और पाकिस्तानी सरकार के बीच भी लगातार खटपट चल रही है। ‘तहरीक’ के नेता पठान हैं और तालिबान भी पठान हैं। दोनों पंजाबी वर्चस्व के खिलाफ कटिबद्ध हैं। इसीलिए डूरेन्ड लाइन पर भी फिर से विवाद छिड़ गया है। कितने आश्चर्य की बात है कि काबुल की तालिबान सरकार को अभी तक पाकिस्तान सरकार ने औपचारिक मान्यता भी नहीं दी है। पाकिस्तान के गृहमंत्री राणा सनाउल्लाह ने कहा है कि इस हमले का इस्लाम से कुछ लेना-देना नहीं है। नमाज़ पढ़ते हुए मुसलमानों पर हमला करना कुरान की शिक्षा के विरुद्ध है। यदि यह बात ठीक है तो यह मानना पड़ेगा कि या तो पाकिस्तानी तालिबान मुसलमान नहीं हैं या जो लोग मारे गए हैं, उन्हें तालिबान लोग मुसलमान नहीं मानते। ये दोनों बातें गलत हैं। मरनेवाले और मारनेवाले दोनों ही मुसलमान हैं। इस्लाम का इससे बड़ा अपमान क्या होगा कि मुसलमान ही मुसलमानों को मार रहे हैं।