- जादुई आवाज के स्वामी, गजब के रिपोर्टर
- अब ढूंढे नहीं मिलते ऐसे पत्रकार
कमाल अब अपने राम के पास चले गये। कमाल खान जैसे पत्रकार का यूं अचानक चले जाना पत्रकारिता जगत के लिए ही नहीं समाज के लिए एक बड़ा झटका है। कमाल कमाल के रिपोर्टर रहे। उनकी रिपोर्ट और पीटीसी को सुनने के लिए नये और पुराने पत्रकारों में हमेशा ही उत्सुकता रही है। जादुई आवाज में वह बिना लिखे ही गजब की स्क्रिप्ट बोल लेते थे। न्यूज में अपनी आवाज से जान डाल देते थे। ऐसे ही थी कमाल के राम की एक रिपोर्ट।
एनडीटीवी पर ‘कमाल के राम‘ रिपोर्ट को देखने के बाद हजारों नहीं तो सैकड़ों लोग के मन जरूर बदले होंगे। कमाल खान ने इस रिपोर्ट में बताया था कि उनके राम और वीएचपी के राम में क्या अंतर है। उन्होंने राम को किसी धर्म से नहीं जोड़ा। बताया कि राम सबके हैं। हमारी संस्कृति के हैं और मर्यादा पुरुषोत्तम हैं, शालीन हैं, उद्धार करने वाले हैं। जबकि वीएचपी के राम आक्रामक हैं। यानी राम का नाम धर्म से कहीं अधिक वोटों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।
आज समाज में नेता धर्म के नाम पर घृणा और द्वैष फेला रहे हैं। वोटों की फसल काटने के लिए हिन्दु-मुस्लिम के बीच खाई पैदा की जा रही है। ऐसे समय में कमाल खान जैसे प्रखर और सुलझे हुए पत्रकार का चले जाना अपूरणीय क्षति है।
कमाल को भावभीनी श्रद्धांजलि।
देखेंः कमाल के राम
https://www.facebook.com/gunanand.jakhmola/videos/3052624381731728
[वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]