धनु लग्नः धनु लग्न का प्रतीक आधा व्यक्ति धनुष खींचे हुए है। धनु लग्न कालपुरुष की कुंडली में भाग्य भाव में पड़ता है। इसीलिए इस लग्न को भाग्यशाली लग्न कहा जाता है। यह राशि मूल के चार चरण, पूर्वाषाढ़ा के चार चरण और उत्तराषाढ़ा के एक चरण से मिलकर बनती है।
धनु लग्न के स्वामी बृहस्पति है जो देवताओं के गुरु माने गये है, बृहस्पति के प्रभाव के कारण धनु लग्न में जन्में जातक धार्मिक प्रवृति के होते है, अधिकारप्रिय, करुणामय और मर्यादापूर्वक व्यवहार इनका स्वभाव है।
धनु लग्न में जन्में जातक की कुंडली का स्वामी बृहस्पति होता है। इनके भाग्य के लिए सूर्य की उपस्थिति लाभ पूर्ण योग बनाती है। बुध केन्द्राधिपति दोष से पीड़ित अवस्था में इनकी कुंडली में अपनी उपस्थिति दर्ज करता है।
यदि बुध की दशा इनकी कुंडली में अच्छी होती है तो इनको विवाह संबंध और कार्यक्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।
शुभ ग्रहः सूर्य नवमेश व मंगल पंचमेश होकर प्रबल कारक होते है। सूर्य की प्रबल स्थिति इसे ज्यादा ही योगकारक बनाती है। इनकी दशा-महादशा लाभदायक होती है।
अशुभ ग्रहः बुध, शुक्र, शनि व चन्द्रमा अशुभ होते है। विशेषकर शुक्र व चन्द्रमा की महादशाएं कठिन फल देती है।
तटस्थः बृहस्पति दो केन्द्रो का स्वामी होकर तटस्थ हो जाता है।
दिनेश अग्रवाल
(निःशुल्क कुंडली विवेचन के लिए संपर्क करें: 9911275734)