- कारपोरेट जगत में भाईचारा, हमें लड़ाया जा रहा हिन्दू-मुस्लिम पर
अडाणी ग्रुप के एफपीओ की पूरी खरीद हो गयी। 20 हजार करोड़ मिल गये। इसके बाद अडाणी ग्रुप ने एफपीओ वापस ले लिया। क्यों? यह बताया गया कि निवेशकों का ख्याल था। नैतिकता थी। एफपीओ में रिटेल निवेशक नहीं थे। जानकारी मिल रही है कि अडाणी के एफपीओ में मुकेश अंबानी, सुनील मित्तल और सज्जन जिंदल ने निजी खाते से इन्वेस्ट किया। चूंकि पूरे विश्व की कारपोरेट संस्थाओं की नजर अडाणी पर थी तो उन्हें यह फ्राड नजर आ गया, मजबूरी में एफपीओ वापस लिये गये।
सवाल यह है कि बाजार में जब कोई डूबता है तो उसे बचाने कोई कारपोरेट घराना नहीं आता। क्यों आएगा भला? लेकिन अडाणी के साथ ऐसा नहीं हो रहा। यदि अंबानी, जिदंल और मित्तल अडाणी ग्रुप को बचा रहे हैं तो यह राजनीतिक इशारे पर ही संभव है। यानी कारपोरेट भाईचारा हो रहा है और देश की जनता को हिन्दू-मुस्लिम में उलझाया जा रहा है, ताकि नफरत की फसल काटकर सत्ता और वैभव दोनों की लूट हो सके। राहुल गांधी ने कई बार अपने भाषणों में कहा है कि यह मोदी जी की नहीं, अडाणी-अंबानी की सरकार है। सूट-बूट की सरकार है। तो क्या राहुल गांधी ने सच कहा? देश में कारपोरेट मानोपाॅली चल रही है। विचार करो लोगों और संभलो।
[वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]