अडाणी समूह ने एफपीओ वापस ले लिया है। 20 हजार करोड़ वापस कर दिये। इस बीच ग्रुप के 70 अरब डूब गये हैं। गौतम अडाणी ने इस भारत पर हमला कहा, लेकिन भारत इसका जवाब नहीं दे रहा। सेठ से चुनाव के लिए भारी भरकम रकम लेने वाले भी चुप्पी साधे हुए हैं। गोदी मीडिया को समझ में नहीं आ रहा है कि अडाणी के बारे में क्या लिखे, क्या कहें, या कैसे बचे?
भक्त वाट्सएप पर मुहिम तो चला सकते हैं, लेकिन अडाणी के गिरते शेयरों को बचाने के लिए पैसा नहीं लगा सकते, भक्त भला देश और अडाणी के लिए क्यों अपना धन दांव पर लगाएंगे? भक्त ऐसे हैं कि जब पीएम मोदी ने केयर फंड में गहने और पैसे देने की अपील की थी तो भक्त गुफाओं और कंदराओं में छिप गये थे। अडाणी को भक्तों की जरूरत है। भक्त फिर बिलों में छिप गये हैं। अडाणी ग्रुप का चाहिए कि वह इन गुफाओं और कंदराओं के बाहर मिर्च का धुंआ लगाएं ताकि भक्त बिलों से बाहर निकल आएं, तो शायद अडाणी का नुकसान बच जाएं।
[वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]