विश्व गुरू बनने की राह पर है भारत

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नई दिल्ली, 15 अगस्त। स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में आज उत्थान फाउंडेशन द्वारका की ओर से अंतरराष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। सह-आयोजक तरूण घवाना ने बताया कि वेबिनार में ‘स्वतंत्रोत्तर हिन्दी साहित्य के 75 पग’- विषय पर चर्चा एवं काव्य पाठ हुआ। खास बात यह थी कि प्रवासी भारतीयों के अलावा विदेशी गैर हिन्दी मेहमानों ने भी अपने वक्तव्य दिए। भारत से इतर 13 देशों के वक्ताओं ने इस वेबिनार में भाग लिया।
उत्थान फाउंडेशन की संचालिका अरूणा घवाना ने वेबिनार की शुरुआत करते हुए आज की चर्चा के विषय को सबके सामने प्रस्तुत किया। आयोजिका एवं संचालिका अरूणा घवाना ने स्वतंत्रोत्तर साहित्य में पर्यावरण साहित्य के महत्व पर अपना पक्ष रखते हुए कहा कि हिन्दी साहित्यकारों ने पर्यावरण को अपने लेखन में सदा अंगीकार किया है।
जूम मीट पर आयोजित हुए इस वेबिनार की मुख्य अतिथि ताशकंद सरकारी प्राच्य विद्या संस्थान की प्रोफेसर (हिन्दी) प्रो. उल्फत मुखीबोवा थीं। उन्होंने 21वीं सदी में भक्ति साहित्य के महत्व पर अपना पक्ष रखते हुए कहा कि भारत का साहित्य संपूर्ण विश्व के लिए एक मार्गदर्शक है।

यूके से अतिथि वक्ता साहित्यकार एवं संपादिका शैल अग्रवाल ने स्वतंत्रोत्तर हिन्दी साहित्य की कहानियों का खूबसूरत विश्लेषण किया।
कनाडा से डॉ स्नेह ठाकुर ने उपन्यास विधा पर अपना वक्तव्य दिया। उन्होंने राम को लोकनायक राम के रूप में भी देखने को कहा।
न्यूजीलैंड से मैसी यूनिवर्सिटी की निदेशक डॉ पुष्पा वुड ने काव्य पाठ किया।
दक्षिण अफ्रीका से हिंदी शिक्षा संघ दक्षिण अफ्रीका की पूर्व अध्यक्ष डॉ उषा देवी शुक्ला ने भारत का 76वां स्वतंत्रता दिवसः एक दक्षिण अफ्रीकी प्रवासी संतान के तौर पर अपने विचार प्रस्तुत किए।
स्वीडन से इंडो-स्कैंडिक संस्थान के उपाध्यक्ष और स्टॉकहोम में हिन्दू मंदिर के संस्थापक सदस्य सुरेश पांडेय, नार्वे से गुरू शर्मा, मॉरीशस से कवि शंभू धनराज, सूरीनाम से हिन्दी शिक्षिका लैला लालाराम, त्रिनिडाड-टुबैगो से रुकमणि होल्लास और नीदरलैंड्स से हिन्दी शिक्षिका कृष्ण कुमारी जरबंधन ने काव्य पाठ किया।
फीजी से फीजी सरकार के राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सलाहकार डॉ बलराम पंडित ने स्वतंत्रोत्तर साहित्य में मनोविज्ञान पर चर्चा की।
दक्षिण कोरिया से अजय निबांळ्कर ने भारत के तकनीकी सोपानों को काव्य बद्ध किया।

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