– चौबट्टाखाल और श्रीनगर में हालात बेकाबू, घर-घर हैं बुखार पीड़ित
– चार जिलों के एक टेस्टिंग लैब, मरीजों को नहीं मिल रही पैरासिटमोल
श्रीनगर के चौथाण पट्टी में बुखार से कई लोग ग्रसित हैं। इनको पैरासिटमोल की गोली भी नहीं मिल रही है। यूकेडी के वरिष्ठ नेता मोहन काला के अनुसार गांव-गांव में बुखार फैला है। यह देखकर उन्होंने दो लाख पैरासिटमोल टेबलेट गांवों में भेजी हैं। उनके द्वारा भेजी गई पांच टीमें दवाएं, मास्क, सेनेटाइजर गांवों में बांट रही हैं।
उधर, चौबट्टाखाल क्षेत्र में भी बुरा हाल है। कांग्रेस के प्रदेश सचिव कवीन्द्र इस्टवाल के अनुसार यहां कई लोगों की कोरोना से मौत हो चुकी है और गांवों में बुखार फैला है। श्रीनगर धन सिंह तो चौबट्टाखाल सतपाल महाराज का विधानसभा क्षेत्र है। दोनों विधायकों ने अपने क्षेत्र की जनता को भगवान भरोसे छोड़ दिया है। धन सिंह ने हाल में एक पोस्ट जारी की कि श्रीनगर मेडिकल कालेज में कोरोना 1166 मरीज भर्ती हुए और दो लाख से भी अधिक टेस्टिंग हुई। लेकिन जिन आंकड़ों को धन सिंह गिना रहे हैं वो मई 2020 से अब तक के हैं।
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हकीकत यह है कि टिहरी, पौड़ी, चमोली और रुद्रप्रयाग के लिए केवल यही एक टेस्टिंग लैब हैं जहां आरटीपीसीआर की सुविधा है। लैब की क्षमता 5 हजार है। इस कारण यहां मरीजों को रिपोर्ट के लिए कई दिनों का इंतजार चल रहा है। लैबकर्मी सुबह नौ बजे से देर रात तक काम कर रहे हैं। न तो पर्याप्त स्टाफ है और न ही एक साल में दूसरी लैब बन पाई। गांवों मे बुखार की शिकायत है लेकिन कोई टेस्टिंग की सुविधा नहीं है। सतपुली में अब टेस्टिंग हो रही है। लेकिन नौगांवखाल, एकेश्वर और चौबट्टाखाल में लोगों को टेस्टिंग तो दूर दवाओं की भी किल्लत है।
जब सीएम ने कह दिया कि विधायक अपने-अपने इलाके को देखें तो दोनों विधायकों को चाहिए कि वो अपने विधानसभा क्षेत्रों की सुध लें। ठीक है भाई, आप मंत्री हो लेकिन किसकी बदौलत? अपने क्षेत्र की जनता की बदौलत। मत भूलो, ये जनता है, सीट बदल भी दोगे, लेकिन जनता तो सब जानती है। क्षेत्र के लोगों का कहना है कि जब से सतपाल महाराज और धन सिंह रावत का नाम सीएम बनने के लिए उछला। दोनों नेताओं ने जमीन पर देखना बंद कर दिया। हालांकि एक्सीडेंटल सीएम कोई और ही बन गया। इसके बावजूद दोनों नेता धरातल पर नहीं आ रहे हैं। सतपाल महाराज बीईएचएल में ऑक्सीजन सिलेंडर को देख रहे हैं तो धन सिंह रावत अपने तीरथ सिंह रावत का पल्ला पकड़ कर उनके साथ ही घूम रहे हैं।
[वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]