भारत-न्यूजीलैंड हाकी मुकाबलाः रक्षा पंक्ति के नाम रहा मैच, ध्यानचंद ने भी इसी दिन था हराया

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photo source: social media

आज 24 जुलाई 1926 को ही मेजर ध्यानचंद ने न्यूजीलैंड की धरती पर जीत दर्ज की थी जो आज भारत के लिए एक शुभ संकेत और आशीर्वाद स्वरूप भारत के साथ थी, परिणाम भारत ने 24 जुलाई 2020 को टोक्यो ओलंपिक में न्यूजीलैंड के खिलाफ अपने पहले मैच में 3 के मुकाबले 2 गोलों से जीत दर्ज करते हुए अपने विजय अभियान की शानदार शुरुआत की है और 24 जुलाई की तारीख को विजय तारीख के रूप में भारतीय हाकी के स्वर्णिम इतिहास के साथ जोड़ते हुए अंकित कर दिया है। मैच के अंतिम समय में भारतीय हाकी प्रसशंको की सांसें रुक गई, जब मैच समाप्त होने से केवल एक मिनट पहले न्यूजीलैंड ने अपने तेज हमले से भारतीय गोल को हिला कर रख दिया, लेकिन आज करोड़ों भारतीयों की आशा पर भारतीय गोलकीपर श्रीजेश खरे उतरे और उनके बेहतरीन प्रदर्शन से आज भारत ने अपने पहले मैच में जीत दर्ज कर दी।
भारत के खिलाफ न्यूजीलैंड ने 8वें मिनट मे गोल करके बढ़त बना ली, किंतु न्यूजीलैंड की यह बढ़त ज्यादा देर तक कायम नहीं रह सकी। भारत के रूपिंदर पाल सिंह ने 10 मिनट में मिले पेनल्टी स्ट्रोक को गोल में बदलकर भारत को 1-1 की बराबरी पर लाकर खड़ा कर दिया। इसके बाद भारत ने तेज रफ्तार की हाकी खेली, जिसके लिए वह पूरी दुनिया में जानी जाती है। न्यूजीलैंड गोल मुहाने पर एक के बाद एक ताबड़तोड हमले किए, जिसके नतीजे में भारत ने खेल के 26वें मिनट में पेनल्टी कॉर्नर अर्जित किया। जिसे भारत के ड्रैग फ्लिकर हरमनप्रीत सिंह ने बिना गलती किए हुए गोली की रफ्तार से गेंद को जाल में डाल दिया और इस तरह भारत ने न्यूजीलैंड पर दो के मुकाबले एक गोल से बढ़त हासिल कर ली। भारत ने अपने हमले तेज रखे और फलस्वरूप भारत को खेल के 33वें मिनट में पेनल्टी कार्नर मिल गया। जिसे एक बार फिर भारत के हरमनप्रित सिंह ने जबरदस्त ड्रेग लेते हुए न्यूजीलैंड की रक्षापंक्ति को बीट करते हुए गेंद को गोल में डाल दिया और भारत ने 3 के मुकाबले 1 गोल से बढ़त बना ली, किंतु भारत थोड़ा रक्षात्मक खेल पर आया जिसका भरपूर लाभ उठाते हुए न्यूजीलैंड ने राइट साइड से सुंदर मूव बनाते हुए पलक झपकते गेंद को भारतीय गोल में डाल दिया और भारत के बढ़त को कम करते हुए 3-2 कर दिया। न्यूजलैंड का यह गोल खेल के 43वें मिनट में आया। इस गोल के हो जाने के बाद न्यूजीलैंड ने मैच को बराबरी पर लाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी, परंतु भारत के गोलकीपर श्रीजेश की जितनी तारीफ की जाए कम है। आज वास्तव में श्रीजेश ने भारत के महान गोलकीपर शंकर लक्ष्मण की 1964 टोक्यो ओलंपिक की छवि को मैदान में साकार कर दिखाया।
इस मैच में भारतीय खिलाडि़यों का प्रदर्शन लाजबाव रहा है। भारत की ओर से रूपिंदर पाल, हरमनप्रीत, वीरेन लकड़ा, अमित रोहित दास, कप्तान मनप्रीत सिंह, निलकांत शर्मा, विवेक सागर प्रसाद, मनदीप सिंह, ललित उपाध्याय सभी खिलाडि़यों ने उत्कृष्ट खेल का प्रदर्शन किया। भारत को मैच के आखिर तीन मिनटों की अपनी कारगार रणनीति पर होमवर्क करना होगा, साथ ही आक्रमण पंक्ति को मैदानी गोल करके अपनी उपस्थिति का एहसास कराना होगा। आज का मैच सच पूछा जाए तो रक्षा पंक्ति के नाम रहा गोल भी रक्षा पंक्ति के खिलाडि़यों ने किए हैं और भारतीय गोल का शानदार बचाव भी किया है। आखिरी के तीन मिनट भारत की हांकी पर पिछले कई वर्षों से भारी पड़ रहे हैं, जो आज भी मैच में हमारे सामने संकट के बादल बनकर हमारे गोल मुहाने पर छा गए थे, लेकिन श्रीजेश के बेहतरीन प्रदर्शन से हम उन संकट के बादलों को हटाने में कामयाब हो सके और हम जीत दर्ज कर पाए। अपने पहले मुकाबले में जीत दर्ज करना भारत के लिए सबसे शानदार शुरुआत है, क्योंकि ओलंपिक जैसे मंच पर आपकी शुरुआत जीत से हो इससे बढ़कर और कोई बात नही हो सकती है। इस जीत से भारतीय हाकी टीम का मनोबल ऊंचा होगा और आने वाले मुकाबला जो कल दोपहर 3 बजे आस्ट्रेलिया से होना है। उसमे भारत को अवश्य ही मनोवैज्ञानिक फायदा मिलेगा। भारतीय हाकी टीम को अपने जहन में उस मैच की यादों को ताजा कर लेना चाहिए, जिसमें भारतीय हाकी टीम ने इसी जापान की धरती पर 1964 के टोक्यो ओलंपिक में सेमी फाइनल मुकाबले में आस्ट्रेलिया को 3-2 से परास्त करते हुए ओलिंपिक हाकी फाइनल में अपनी जगह को पक्का किया था। आज की भारतीय हांकी टीम की जीत और शानदार शुरुआत पर सभी खेल प्रेमियों देशवासियों को बधाई और सबसे बढ़कर मेरे देश की हाकी टीम खिलाडि़यों को बधाई और शुभकामनाएं है की वे अपने अथक प्रयासों, परिश्रम से शानदार हांकी का प्रदर्शन जारी रखते हुए भारत की ओलंपिक हाकी की सुनहरी यादों को फिर ओलंपिक पदक की चमक से देश की आजादी की 75वी वर्षगांठ को रोशन करने में सफल होगी।

(हेमंत चंद्र दुबे बबलू बैतूल)

भारतीय हाकी की सुनहरी यादें…

 

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