शिमला, 8 जून। शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज ने आज यहां कहा कि मुख्यमंत्री शहरी आजीविका गारंटी योजना शहरी क्षेत्रों में रोजगार प्रदान करने में, विशेषकर लॉकडाऊन के दौरान, उपयोगी व प्रभावी साबित हुई है। मंत्री ने इस योजना को शहरी मनरेगा की परिभाषा दी। सुरेश भारद्वाज ने कहा कि इस योजना के तहत एक अप्रैल से अब तक 1300 लोगों का पंजीकरण किया गया है। इनमें से 50 फीसदी से अधिक पंजीकरण 7 मई के पश्चात लॉकडाउन के दौरान किए गए हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान लॉकडाउन के दौरान इस योजना के तहत 500 से अधिक व्यक्ति कार्य कर रहे हैं, जबकि 800 से अधिक व्यक्तियों को जॉब कार्ड प्रदान किए गए हैं।
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शहरी विकास मंत्री ने कहा कि शहरी लोगों को रोजगार प्रदान करने के लिए गत वर्ष लॉकडाउन के दौरान इस योजना की परिकल्पना की गई थी। उन्होंने कहा कि इस वर्ष मार्च माह तक इस योजना के अंतर्गत 5000 लोगों को पंजीकृत किया जा चुका है। इनमें से 4800 को जॉब कार्ड जारी किए जा चुके हैं।
उन्होंने कहा कि इस वर्ष मार्च माह तक लगभग 4500 लोगों को रोजगार प्रदान किया गया है। उन्होंने कहा कि गत वित्त वर्ष के दौरान इस योजना पर तीन करोड़ रुपये व्यय किए गए थे और इस वित्त वर्ष के लिए राज्य बजट में चार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि शहरी क्षेत्रों में रोजगार प्रदान करने के लिए इस योजना को मनरेगा की भांति लागू किया गया था। इस योजना के प्रचार-प्रसार पर भी विशेष ध्यान दिया गया था, ताकि अधिक से अधिक लोग लाभान्वित हो सकें। योजना के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि जॉब कार्ड जारी होने के 15 दिनों के भीतर शहरी स्थानीय निकायों के निवासियों को 120 दिन के रोजगार की गारंटी सुनिश्चित की गई है, अन्यथा 75 रुपये प्रतिदिन बेरोजगारी भत्ता प्रदान किया जाएगा।