शिमला, 28 जनवरी। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने वन संरक्षण अधिनियम (एफसीए) के तहत प्रदान की जाने वाली स्वीकृतियों के विलंब पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि एफसीए मामलों में तेजी लाने के लिए एक प्रभावी प्रणाली विकसित करने पर विशेष बल दिया जाना चाहिए, ताकि राज्य में विकासात्मक परियोजनाओं पर काम शीघ्र शुरू हो और वह निर्धारित समयावधि में पूर्ण की जा सकें।
सुक्खू ने शुक्रवार शाम यहां वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ आयोजित बैठक की अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि चिकित्सा महाविद्यालयों, पर्यटन परियोजनाओं, शैक्षणिक संस्थानों, सड़कों और इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशनों के निर्माण सहित अन्य मामलों में एफसीए मंजूरी के लिए समय सीमा का पालन किया जाना चाहिए। उन्होंने वन विभाग के अधिकारियों को एफसीए की समयबद्ध मंजूरी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए ताकि विकासात्मक परियोजनाओं को निर्धारित समय पर पूरा किया जा सके, जिससे प्रदेश के अधिक से अधिक लोग लाभान्वित हो सकें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार विकास और पर्यावरण संरक्षण में संतुलित दृष्टिकोण अपना कर राज्य में विभिन्न विकासात्मक परियोजनाओं का कार्यान्वयन सुनिश्चित करेगी। उन्होंने कहा कि एफसीए मंजूरी में अनावश्यक विलंब नहीं होना चाहिए। उन्होंने अधिकारियों को इस प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जहां एफसीए आवश्यक है, वहां संबंधित विभाग एक नोडल अधिकारी नियुक्त करेगा, जबकि संबंधित मंडल के डीएफओ परियोजनाओं के विलंब से बचने के लिए समयबद्ध तरीके से सहयोग करना सुनिश्चित करेंगे।
प्रतिपूरक वनीकरण कोष प्रबंधन और योजना प्राधिकरण कैम्पा की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री को अवगत करवाया गया कि 22 फरवरी 2019 तक की हिमाचल प्रदेश की 1,660 करोड़ रुपये की हिस्सेदारी राष्ट्रीय प्राधिकरण के पब्लिक एकाउंट से प्रदेश प्राधिकरण के पब्लिक एकाउंट में हस्तातंरित की गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कैम्पा के तहत ऊर्जा बचत क्षेत्र पर धनराशि व्यय की जानी चाहिए। उन्होंने राज्य प्राधिकरण को शासी निकाय की बैठक शीघ्र बुलाने के निर्देश दिए।
उन्होंने भविष्य में वन विभाग के सभी निर्माण कार्यों को लोक निर्माण विभाग तथा अन्य निष्पादन एजेंसियों के माध्यम से करवाने के निर्देश दिए।
पर्यावरण संरक्षण पर विशेष बल देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जलवायु परिवर्तन चिंता का विषय है इसलिए वन विभाग को पौधरोपण पर विशेष ध्यान देना चाहिए। बैठक में अवगत करवाया गया कि वन विभाग ने प्रथम चरण में राज्य में 15 स्थान चिह्न्ति किए हैं जहां 256.50 हेक्टेयर भूमि पर पौधरोपण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पौधरोपण स्थल की ऊंचाई के अनुसार किया जाए ताकि अधिक से अधिक पौधों की जीवित्ता दर बढ़े और उन्होंने भविष्य में पौधरोपण के लिए अधिक स्थान चिह्न्ति करने के निर्देश देते हुए कहा कि वन विभाग पौधरोपण स्थलों की निरंतर निगरानी भी सुनिश्चित करे।
इस अवसर पर ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरूद्ध सिंह, प्रधान सचिव ओंकार शर्मा, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव भरत खेड़ा, प्रधान सचिव देवेश कुमार, प्रधान सचिव विधि राजीव भारद्वाज, मुख्यमंत्री के ओएसडी गोपाल शर्मा, विशेष सचिव सीपी वर्मा, पीसीसी (हॉफ) अजय श्रीवास्तव, पीसीसीएफ (वन्य जीव) राजीव कुमार, मुख्य कार्यकारी अधिकारी कैम्पा नागेश कुमार, एपीसीसीएफ (वित्त) एसके कापटा और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
सुक्खू ने शुक्रवार शाम यहां वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ आयोजित बैठक की अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि चिकित्सा महाविद्यालयों, पर्यटन परियोजनाओं, शैक्षणिक संस्थानों, सड़कों और इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशनों के निर्माण सहित अन्य मामलों में एफसीए मंजूरी के लिए समय सीमा का पालन किया जाना चाहिए। उन्होंने वन विभाग के अधिकारियों को एफसीए की समयबद्ध मंजूरी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए ताकि विकासात्मक परियोजनाओं को निर्धारित समय पर पूरा किया जा सके, जिससे प्रदेश के अधिक से अधिक लोग लाभान्वित हो सकें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार विकास और पर्यावरण संरक्षण में संतुलित दृष्टिकोण अपना कर राज्य में विभिन्न विकासात्मक परियोजनाओं का कार्यान्वयन सुनिश्चित करेगी। उन्होंने कहा कि एफसीए मंजूरी में अनावश्यक विलंब नहीं होना चाहिए। उन्होंने अधिकारियों को इस प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जहां एफसीए आवश्यक है, वहां संबंधित विभाग एक नोडल अधिकारी नियुक्त करेगा, जबकि संबंधित मंडल के डीएफओ परियोजनाओं के विलंब से बचने के लिए समयबद्ध तरीके से सहयोग करना सुनिश्चित करेंगे।
प्रतिपूरक वनीकरण कोष प्रबंधन और योजना प्राधिकरण कैम्पा की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री को अवगत करवाया गया कि 22 फरवरी 2019 तक की हिमाचल प्रदेश की 1,660 करोड़ रुपये की हिस्सेदारी राष्ट्रीय प्राधिकरण के पब्लिक एकाउंट से प्रदेश प्राधिकरण के पब्लिक एकाउंट में हस्तातंरित की गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कैम्पा के तहत ऊर्जा बचत क्षेत्र पर धनराशि व्यय की जानी चाहिए। उन्होंने राज्य प्राधिकरण को शासी निकाय की बैठक शीघ्र बुलाने के निर्देश दिए।
उन्होंने भविष्य में वन विभाग के सभी निर्माण कार्यों को लोक निर्माण विभाग तथा अन्य निष्पादन एजेंसियों के माध्यम से करवाने के निर्देश दिए।
पर्यावरण संरक्षण पर विशेष बल देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जलवायु परिवर्तन चिंता का विषय है इसलिए वन विभाग को पौधरोपण पर विशेष ध्यान देना चाहिए। बैठक में अवगत करवाया गया कि वन विभाग ने प्रथम चरण में राज्य में 15 स्थान चिह्न्ति किए हैं जहां 256.50 हेक्टेयर भूमि पर पौधरोपण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पौधरोपण स्थल की ऊंचाई के अनुसार किया जाए ताकि अधिक से अधिक पौधों की जीवित्ता दर बढ़े और उन्होंने भविष्य में पौधरोपण के लिए अधिक स्थान चिह्न्ति करने के निर्देश देते हुए कहा कि वन विभाग पौधरोपण स्थलों की निरंतर निगरानी भी सुनिश्चित करे।
इस अवसर पर ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरूद्ध सिंह, प्रधान सचिव ओंकार शर्मा, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव भरत खेड़ा, प्रधान सचिव देवेश कुमार, प्रधान सचिव विधि राजीव भारद्वाज, मुख्यमंत्री के ओएसडी गोपाल शर्मा, विशेष सचिव सीपी वर्मा, पीसीसी (हॉफ) अजय श्रीवास्तव, पीसीसीएफ (वन्य जीव) राजीव कुमार, मुख्य कार्यकारी अधिकारी कैम्पा नागेश कुमार, एपीसीसीएफ (वित्त) एसके कापटा और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।