आरबीएस रावत पर भी लगे गैंगस्टर

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  • ईडी करे संपत्ति की जांच, हजारों निर्दोष पेड़ों के कत्ल के गुनाहगार भी हैं रावत
  • यह भी जांच हो कि क्या उनके बेटे को खनन पट्टा मिला, किसने दिया?

पूर्व वन अधिकारी आरबीएस रावत वीपीडीओ के मास्टरमाइंड घोषित होने के बाद सरकार को पूर्व अफसरों की तैनाती को लेकर नियम बनाने चाहिए। सुना है कि सरकार पत्रकारों के पोर्टल के लिए एलआईयू जांच करवाएगी, लेकिन एलआईयू से इन अफसरो की जांच क्यों नहीं करवाई जाती? आरटीआई में निजी संपत्ति की जांच का अधिकार नहीं दिया गया है। वरना मैं ही कई अफसरों की खाट खड़ी कर देता। ऐसे में सरकार को इन अफसरों को रिटायरमेंट के बाद दोबारा से किसी पद पर नियुक्त करने से पहले हर हाल में जांच करानी चाहिए।
यह विडम्बना है कि प्रदेश में इतने बड़े, अनुभवी और नायाब हीरे अफसर रिटायरमेंट के बाद अनयूज्ड हैं। मैं सूचना आयुक्त विपिन चंद्र घिल्ड़ियाल का प्रोफाइल देख रहा था तो बेहोश हो गया। मेरा दावा है कि उत्तराखंड में इतना टेंलेंटिड और अनुभवी अफसर कोई नहीं है। गांव के सरकारी स्कूल से पढ़े इस व्यक्ति ने पूरे देश-दुनिया में नाम कमाया। सरकार ने उस व्यक्ति को सूचना आयुक्त जैसी छोटी सी पोस्ट पर बिठा दिया। हद है। यही तो हमारे प्रदेश का दुर्भाग्य है। यहां ईमानदार और कर्मठ अफसरों की कद्र नहीं है। पूर्व गढ़वाल कमिश्नर एसएस पांगती ने रिटायरमेंट के बाद जीवन सड़क पर नारेबाजी करते बिता दिया। जबकि वह उत्तराखंड के इनसाइक्लोपीडिया हैं और आरबीएस जैसे चोर और बेईमान अफसर को सीएम सलाहकार बना दिया। हद से भी हद है। एक पूर्व सीएम का एक और चोर ओएसडी इस मामले में अंदर जाने के काबिल है। उसकी योग्यता जीरो है, लेकिन हाकिम को छुड़ाने और दलालों की मीटिंग फिक्स करवाने में वह नंबर वन है। देखते ही देखते कंगालपति से करोड़पति हो गया।
एक बात और बता दूं, आरबीएस को हवा देने वाले हमारे एक नेता अब उससे पल्ला झाड़ रहे हैं। अपने को मासूम बता रहे हैं। हालांकि जानकारी मिली है कि जब आरबीएस रावत ने उन महाशय को अपने बेटे से मिलवाया तो कहा, हुजूर, यह बेटा आप ही का है। तो तब तो मुस्कराते हुए उसे खनन पट्टा दे दिया था। जांच होनी चाहिए कि क्या आरबीएस रावत के बेटे को खनन पट्टा मिला, यदि हां तो किस आधार पर और किसने दिया?
आरबीएस रावत ने वन विभाग में रहते हुए बिल्डरों और प्रापर्टी डीलरों से मिलीभगत कर गैर-कानूनी तरीके से हजारों निर्दोष पेड़ों की हत्या भी की है। सरकार की आंखें हैं या बटन। नीयत देखती ही नहीं, इसलिए अभागे पहाड़ियों की किस्मत नहीं संवरती। सरकार हिम्मत है तो आरबीएस रावत पर भी गैंगस्टर लगाओ। वरना आरबीएस तो चार दिन में जेल से छूटकर बाहर आ जाएगा। बेईमान अफसरों को सबक मिलेगा।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

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