अंकिता हत्याकांड पर दून बार एसोसिएशन की चुप्पी खलती है!

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  • मानवता से अधिक बड़ा नहीं हो सकता है पैसा
  • प्रख्यात एडवोकेट राज सिंह राघव और एडवोकेट चंद्रशेखर तिवारी बोले, हर तरह मदद को तैयार

अंकिता भंडारी मर्डर केस की सुनवाई तय हो गयी है। 28 सितम्बर को है। कोई जितेंद्र रावत एडवोकेट ने आरोपी पुलकित आर्य का केस लड़ने का फैसला किया है। यह सच है कि किसी वकील ने यह केस लड़ना ही था। लेकिन जिस तरह इस मामले में पूरा प्रदेश दुख, क्षोभ और गुस्से में है, उसको देख कर यह उम्मीद की जा रही थी कि कम से कम दून बार एसोसिएशन यह तय करता कि यहां का कोई भी वकील अंकिता मर्डर केस में आरोपियों का केस नहीं लड़ेगा। एसोसिएशन के अध्यक्ष मनमोहन कंडवाल नौ बार से अध्यक्ष रहे हैं। लेकिन उनकी चुप्पी खलती है। मानवीय संवेदनाओं, अंकिता की मासूमियत और उम्र को देखते हुए बार एसोसिएशन थोड़ा-सा तो पिघलती। मुझे दुख हुआ कि बार एसोसिएशन ने इस मामले में चुप्पी साध ली। वकालत एक पवित्र पेशा है। वकीलों के भी दिल होते हैं और वह सामाजिक भी होते हैं। चोट पहुंची कि बार एसोसिएशन की भूमिका इस मामले में शून्य रही।
इस बीच मैंने प्रख्यात वकील चंद्रशेखर तिवारी और नामी एडवोकेट राज सिंह राघव से अंकिता केस के बारे में विस्तृत बातचीत की। दोनों नामी वकीलों का कहना है कि केस मजबूत है। रिजार्ट पर बुल्डोजर चलाने का फैसला सही है। क्राइम सीन रिजार्ट में नहीं है। धारा 27 के तहत आरोपियों की निशानदेही पर बॉडी रिकवरी है। किसी और ने बताया नहीं, आरोपियों ने बताया है। यह अपने आप में बड़ा सबूत है। यदि बॉडी नहीं मिलती तो केस कमजोर होता। वह रिजार्ट में नौकरी करती थी। फोन काल्स और चैट की डिटेल से भी इलेक्ट्रानिक साक्ष्य मिल जाएंगे।
एडवोकेट राजसिंह राघव के मुताबिक पुलिस ने रिजार्ट पहले ही छान मारा था। ऐसे में बुल्डोजर चलाने या आग लगने से केस पर कोई फर्क नहीं पडेगा क्योंकि घटना तो नहर पर घटी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से तय हो जाएगा। उन्होंने कहा कि वह अंकिता केस में उनके परिवार की हर तरह से मदद के लिए तैयार हैं।
इस बीच प्रारंभिक पोस्टमार्टम रिपोर्ट में अंकिता के शरीर पर चोट के निशान मिले हैं और पानी में डूबने से मौत दिखाई है। संभवत अंकिता के साथ मारपीट की गयी और फिर उसे नहर में धकेल दिया गया। एसआईटी गठित हो चुकी है और पी. रेणुका एक अच्छी और ईमानदार अफसर हैं। उम्मीद है कि दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलेगी।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

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