तीनों खान सुपरस्टार के बाद कौन होगा बॉलीवुड का अगला नायक? पढ़ें, देखें और बताएं!

966

पिछले कुछ सालों से देखा जा रहा है कि तीनों खान यानी सलमान खान, आमिर खान और शाहरुख खान की फिल्मों की संख्या धीरे-धीरे कम होती जा रही है। एक समय पूरी इंडस्ट्री का बिजनेस मानों इन्हीं तीन खानों के कंधे पर टिका था। लेकिन अब समीकरण बदलने लगा है। बादशाह खान हीरो से जीरो बन चुके हैं। ऐसा लग रहा था जीरो के बाद वो दशमलब यानी डेसिमल में बदल जाएंगे लेकिन शुक्र है तीन साल के अंतराल के बाद पठान लेकर आने वाले हैं। लेकिन पचपन पार का यह पठान क्या फिल्मी पर्दे का पहलवान साबित होगा या अपने ही अखाड़े में हो जाएगा पस्त?

इसी तरह अपने कमिटमेंट को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहने वाले राधे योर मोस्ट वांटेड भाई दबंग खान को उनके फैन्स ने ही अब राम-राम बोल दिया है। फिल्म ने पैसे तो कमा लिए लेकिन बकवास कहानी को दिखाकर सलमान ने अपनी मिट्टी पलीद करा ली। अब उनकी आखिरी उम्मीद अंतिम है। जोकि उनकी आने वाली फिल्म का नाम है। सवाल है अंतिम क्या बतौर हीरो उनकी आखिरी फिल्म होगी। हाल के प्रदर्शन को देखते हुए ऐसा ही कयास लगाया जा रहा है।

दूसरी तरफ अपनी एक्टिंग से ज्यादा अपने गेटअप से अपना थियेट्रिक अपीयरेंस कराने वाले आमिर खान की लाल सिंह चड्ढ़ा पर दर्शकों की आंखें लाल होती हैं या पीली, इसे भी देखा जाना बाकी है। लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं कि हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के खान युग की अब समाप्ति की घोषणा कर देनी चाहिए। और इन तीनों खान को अब कैरेक्टर रोल के गेटअप में चले जाना चाहिए। क्योंकि पिछले तीस सालों के दौरान दर्शकों की नई पीढ़ी ने दस्तक दी है, यह पीढ़ी एक तो इन्हें दूसरे रूप में देखना चाहती है दूसरे कि ये स्टार्स जो अभी कर रहे हैं, उनके बदले वह किसी और स्टार को वहां पर देखना पसंद करती है।

‘दिन चले न रात चले’ 21वीं सदी के पहले दशक के भारतीय समाज का आईना

लेकिन इसी के साथ बड़ा सवाल तो यह भी है कि कुछ ही सालों में साठ के होने वाले इन तीनों खान के कैरेक्टर रोल में समाने के बाद अगला नायक कौन? जो हमारे समय का प्रतिनिधित्व कर सके। जब हम नायक की बात करते हैं तो हम ऐसे हीरो की कल्पना करते हैं जिसकी पर्सनल्टी और परफॉर्मेंस में समय की धड़कन सुनाई देती हो। वह पूरे दशक के ट्रेंड, मूवमेंट और आम लोगों के सपनों को साथ लेकर चलने का माद्दा रखता हो। राजकपूर, देवानंद, दिलीप कुमार जैसे सितारों ने समय और समाज को प्रभावित किया था इसलिए वो उस दौर के नायक कहलाते थे। इसी तरह इनके बाद धर्मेंद्र, राजेश खन्ना और फिर अमिताभ बच्चन अपने-अपने दौर के बड़े नायक कहलाए। अमिताभ बच्चन के दौर में ही कई और नायक फिल्मी पर्दे पर उभरे जिन्होंने अपनी-अपनी पर्सनल्टी की अलग छाप छोड़ी। शत्रुघ्न सिन्हा, विनोद खन्ना के अलावा नसीरुद्दीन शाह, ओमपुरी, मनोज वाजपेयी और फिर वापस मुख्यधारा में लौटें तो संजय दत्त, सन्नी देओल, अनिल कपूर और उनके बाद तीनों खान यानी आमिर खान, सलमान खान और शाहरुख खान का उदय होता है। दिलीप कुमार, राजकपूर और देवानंद की तरह मॉडर्न टाइम में ये तीनों भी सिल्वर स्क्रीन के त्रिदेव कहलाए। और करीब तीन दशक से लोगों का भरपूर मनोरंजन कर रहे हैं। अमिताभ बच्चन और अनिल कपूर की तरह इनमें भी लंबी पारी खेलने का पूरा दमखम नजर आया है। लेकिन सवाल यही है कि ये तीनों खान जब कैरेक्टर रोल के गेटअप में नजर आएंगे तो हमारा वह नायक कौन होगा जो हमारे समय को रिप्रेजेंट करता हो।

मेरा मानना है अक्षय कुमार, रितिक रोशन या अभिषेक बच्चन से अब हम ऐसी उम्मीद नहीं कर सकते। क्योंकि अक्षय कुमार पच्चीस साल से ज्यादा समय से एक्टिंग कर रहे हैं, वहीं रितिक रोशन और अभिषेक बच्चन भी दो दशक पूरा कर चुके हैं। रितिक रोशन काबिल अभिनेता जरूर हैं, वह पोस्ट मिलेनियनम ईयर की नई पीढ़ी की धड़कन भी रहे हैं लेकिन सुपर 30 और कुछ मल्टीस्टारर छोड़ दें तो रितिक रोशन ने ज्यादातर अपने पापा राकेश रोशन की फिल्मों का ही नाम रोशन किया है। लिहाजा वर्तमान समय के परफेक्ट नायक की तलाश के लिए हमें पिछले एक दशक के दौरान आए अभिनेताओं की सूची पर ध्यान देना जरूरी हो जाता है। और जब हम पिछले एक दशक में आए हीरो के चेहरे और काम पर ध्यान देते हैं तो हमें राजकुमार राव, विकी कौशल, रनबीर कपूर, रणवीर सिंह, आयुष्मान खुराना, वरुण धवन, कार्तिक आर्यन और अर्जुन कपूर की ओर देखना पड़ जाता है।

इन्हीं नामों के साथ मैं यह सवाल आप सबके सामने रखता हूं कि क्या हम इन अभिनेताओं को अपने समय का नायक घोषित कर सकते हैं? हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के बिजनेस और सफलता का आमतौर पर ज्यादा हिस्सा जिस तरह की पर्सनल्टी वाले हीरो के कंधे पर टिका रहा है, क्या ये नए कलाकार उस आकांक्षा को पूरी कर पाने में सफल होते दिखते हैं? क्या ये अभिनेता पूरे दशक को प्रभावित करने वाले कलाकार साबित होते दिखते हैं? या हमें किसी नए नायक का इंतजार करना चाहिए? या, क्या हमें यह मान लेना चाहिए कि अब हमें वैसे प्रभाव वाले किसी नायक की जरूरत ही नहीं है। आप क्या सोचते हैं…हमें बताइएगा।

-संजीव श्रीवास्तव

[साभार: www.epictureplus.com]

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here