‘अभिमन्यु‘ बनी निर्मला, सड़क पर बैठे हरदा

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  • आज योगी चम्पावत में, हरदा लौटे हरिद्वार
  • सड़क का गड्ढा नजर आया, पार्टी की खाई नहीं

मुझे राजनीतिक समझ नहीं है, लेकिन मुझे एहसास होता है कि कांग्रेस युद्ध के मैदान में डटकर नहीं लड़ती। रणनीति कौन बनाता है और कैसे बनती है, यह नहीं पता। एक पत्रकार के तौर पर मुझे लगता है कि हरदा को चुनाव प्रचार के अंतिम पांच दिन चम्पावत में ही रहना चाहिए था। लेकिन वह तो निर्मला गहतोड़ी को भंवर में छोड़ कर नेशनल हाईवे की सड़क पर बैठ गये। उन्हें सड़क का गड्ढा तो नजर आ गया लेकिन कांग्रेस पार्टी की खाई नजर नहीं आई। यह समझ से परे है। क्या बेहतर नहीं होता कि एक ओर योगी तो दूसरी ओर हरदा की सभा होती।
चुनाव में हार-जीत लगी रहती है। चम्पावत का रिजल्ट भी सबको पता है, लेकिन मैदान छोड़ना ठीक नहीं। एक निर्दलीय भी ऐसा नहीं करता, जबकि उसको पता होता है। निर्मला को आखिरी दिनों में कांग्रेस का साथ चाहिए था। हरदा एक बड़ा नाम है। उन्हें डटे रहना था। यूं निर्मला को अभिमन्यु की तर्ज पर चक्रव्यूह में नहीं छोड़ना था।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

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