नई दिल्ली, 26 मई। प्रमुख डेयरी फर्म अमूल ने कहा कि भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (एएससीआई) ने कंपनी के एक विज्ञापन के खिलाफ दायर तीन याचिकाओं को खारिज कर दिया है, जिसमें कहा गया था कि सोया पेय जैसे संयंत्र आधारित उत्पाद दूध नहीं हैं।
अमूल ब्रांड के तहत उत्पाद बेचने वाली गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन संघ लिमिटेड (जीसीएमएमएफ) ने एक बयान में कहा कि उक्त तीन शिकायतें ब्यूटी विदाउट क्रुएल्टी (बीडब्ल्यूसी), पीपल फॉर एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (पेटा) और शरण इंडिया ने दायर की थीं। अमूल द्वारा ये विज्ञापन 24 मार्च को जनहित में जारी किए गए थे, जिनके खिलाफ एएससीआई के पास शिकायतें दर्ज कराई गई थीं।
अमूल ने कहा कि उसने विज्ञापन के जरिए दूध के बारे में फैलाए जा रहे दावों के झूठ को उजागर करने की कोशिश की। विज्ञापन में कहा गया कि ‘‘सोया पेय जैसे पौधे आधारित डेयरी सदृश्य उत्पाद दूध नहीं हैं।’’
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जीसीएमएमएफ ने एक बयान में कहा, ‘‘एएससीआई ने ब्यूटी विदाउट क्रुएल्टी (बीडब्ल्यूसी), पीपल फॉर एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (पेटा) और शरण इंडिया द्वारा दायर सभी तीन शिकायतों को खारिज कर दिया।’’ अमूल ने कहा कि शिकायतकर्ताओं ने आरोप लगाए थे कि विज्ञापन में किए गए तर्क झूठे थे।
शिकायतकर्ताओं ने दावा किया था कि दूध संपूर्ण भोजन नहीं है, स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है और पौधों पर आधारित भोजन से कम पौष्टिक है। साथ ही उन्होंने आरोप लगाए कि डेयरी फार्मिंग उन मवेशियों के लिए अच्छी नहीं है, जिनके साथ क्रूरता होती है। एएससीआई ने शिकायतों पर फैसला सुनाते हुए अमूल की दलीलों को हर मायने में सही पाया और कहा कि दूध को पौष्टिक तथा कैल्शियम, विटामिन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, खनिज और प्रोटीन का एक समृद्ध स्रोत साबित करने के लिए पर्याप्त वैज्ञानिक डेटा है।
(साभारः भाषा)