नई दिल्ली, 25 फरवरी। अब दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के स्कूलों में भी धार्मिक पोशाक में आने पर रोक लगा दी गई हैं और छात्रों को स्कूल में केवल ड्रेस कोड में ही आने को कहा गया है। ये आदेश शिक्षा विभाग दिल्ली नगर निगम की निदेशक नितिका शर्मा ने आज जारी किया है। ये आदेश हिंदी में जारी हुआ है और गलतियों की भरमार दिखाई दे रही है। ऐसे में प्राथमिक स्कूल में बच्चों को किस स्तर की हिंदी पढ़ाई जा रही होगी, इस पर प्रश्नचिन्ह् लगता है।
आदेश में कहा गया है नगर निगम के प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए वर्दी निर्धारित की हुई हैं। जिसमें समय-समय पर बदलाव भी किया जाता है। इस वर्दी में बच्चे बहुत ही सुंदर नजर आते हैं। इस वर्दी की वजह से बच्चों में प़ढ़ाई के दौरान अमीर-गरीब के भेदभाव का खात्मा होता है।
आदेश में कहा गया है कि पिछले कुछ समय से यह देखने में आ रहा है कि अभिभावक अपने बच्चों को अपने धर्म के वस़्त्र पहनाकर स्कूल भेज रहे हैं। ये किसी भी प्रकार से उचित नहीं है। इससे बच्चों के अंदर असमानता की मानसिकता उत्पन्न होगी जो कि उनके भविष्य के लिए उचित नहीं होगी।
आदेश में आगे कहा गया है कि इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए सभी क्षेत्रीय कार्यालयों के अधिकारियों को निर्देश दिए जाएं बच्चे केवल प्रतियोगिता एवं किसी उत्सव के दौरान की अपने जरूरत के अनुसार ड्रेस कोड में आ सकते हैं और अन्य समान्य दिनों में स्कूल वर्दी में आना अनिवार्य होगा।
दक्षिणी दिल्ली नगर निगम की शिक्षा समिति ने अपने स्कूलों में ड्रेस कोड को लेकर आदेश जारी किया है।
शिक्षा समिति के अध्यक्ष की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि छात्र धार्मिक पोशाक पहनकर स्कूलों में न आएं और ड्रेस कोड का पालन करें। pic.twitter.com/pyY5cMJlbP
— ANI_HindiNews (@AHindinews) February 25, 2022
क्या हिंदी पढ़ाते होंगे बच्चों को!
आज जारी ये आदेश हिंदी में है। इसमें गलतियों की भरमार है। जिससे हिंदी माध्यम के बच्चों का भविष्य क्या होगा ये साफ नजर आ रहा है। पूरे आदेश में बिंदियों की गलतियां हैं बच्चों को बच्चो जिसमें को जिसमे, बातों को बातो आदि लिखा हुआ है। इसके अलावा बहुत ही सुंदर की जगह बहोत ही सुंदर लिखा हुआ है। अमीर को आमिर लिखा हुआ है। सही शब्दों के चयन के अलावा वाक्य भी कई जगह अटपटे ढंग से लिखे हुए लग रहे हैं।