- भाजपा ने ऋतु खंडूड़ी से भी पीछा छुडा लिया
- पहली लिस्ट में शामिल 34 उम्मीदवार चुनाव हार जाएंगे
पिछले साल फरवरी माह में जनरल बीसी खंडूड़ी से मिला। तब वह अल्जाइमर के शिकार नहीं थे। कई सवाल किये। जनरल खंडूड़ी सवालों से परेशान हो गये। गुस्से से बोले कि अब पीछा छोड़ो, जाओ। मैं नहीं गया, तो वो उठकर कमरे में चले गये। मैं बैठा रहा। थोड़ी बाद बाहर आए, बोले, गये नहीं अभी। मैंने कहा, मेरे सवालों का जवाब दीजिए तो चले जाउंगा। उनके चेहरे पर मुस्कराहट आ गयी। बोले, जिद्दी हो। पूछो। तब मनीष के कांग्रेस में जाने की बात हुई। उन्होंने इसे मनीष का निजी मामला बताया। जब पूछा कि राजनीतिक उत्तराधिकारी कौन है? तो बोले, मेरी बेटी। यानी ऋतु खंडूड़ी। कहा, वह सुलझी है और व्यवहार कुशल भी है।
यह बात अलग है कि विधायक के तौर पर ऋतु खंडूड़ी यमकेश्वर में पूरी तरह से फेल रही। और उससे बड़ी बात यह रही कि भाजपा ने टिकट बांटने में उसे पूरी तरह से दरकिनार कर दिया जबकि भाजपा उसे दोबारा टिकट दे सकती थी। भाजपा के पहली लिस्ट में शामिल 34 उम्मीदवार ऐसे हैं जो साफ-साफ चुनाव हार रहे हैं। भाजपा आलाकमान चाहती तो ऋतु को टिकट दे सकती थी, जैसा हरबंस कपूर की पत्नी सविता कपूर को दिया या उत्तराखंडियों को गाली देने वाले चैंपियन की पत्नी कंवर को दिया। या हरभजन चीमा के बेटे को दिया।
भाजपा ने टिकट बंटवारे में यह सिद्ध कर दिया है कि परिवारवाद से भाजपा भी अछूती नहीं है। लेकिन ऋतु को टिकट न दिया जाना यह बताता है कि जिसके सिर पर किसी कद्दावर नेता का साया नहीं तो उसकी रहनुमाई कोई नहीं करता। यह मान लिया जाना चाहिए कि उत्तराखंड के सबसे लोकप्रिय नेता रहे मेजर जनरल रि. बीसी खंडूड़ी के युग का अंत हो गया है।
[वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]